नारायणपुर : अबूझमाड़ इलाके में अशिक्षा और विकास की बागडोर देरी से पहुंचना यहां के आदिवासियों के लिए बुरे सपने जैसा है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि "आदिवासियों को विकास, बीमारी ठीक होने और पैसों का लालच देकर ईसाई धर्म के प्रति आकर्षित किया गया. भोले-भाले आदिवासी ईसाई पास्टर की बातों में आकर अपना धर्म बदलने के लिए राजी हो गए. धर्मांतरण कराने वाले ऐसे आदिवासी परिवार को अपना निशाना बनाते जो आर्थिक रुप से कमजोर रहता या फिर उनके घर में कोई बीमार होता. बीमारी ठीक होने की बात कहकर पहले धर्म बदलवाया जाता.इसके बाद आर्थिक मदद करके ये जताया जाता कि ईसाई धर्म में किसी भी चीज की कोई कमी Conversion case in Bastar नहीं."
धर्मांतरित ईसाई और मूल आदिवासी के बीच संघर्ष :ईसाई बन चुके आदिवासियों और मूल धर्म के आदिवासियों के बीच झगड़े जैसी स्थिति बन गई fight between tribal and Christian missionary है. अपना धर्म छोड़ चुके आदिवासी देवी - देवता,रीति-रिवाज,गाथा पकना, शादी ब्याह, मरनी,छट्टी समेत ऐसी कितनी ही परंपराओं को नहीं मानते.वहीं सबसे बड़ा झगड़ा बीते कई महीनों से शव दफनाने को लेकर हो रहा है. ईसाई धर्म मान चुके व्यक्ति के शव को मूल धर्म के आदिवासी इलाके के गांव के जमीन पर नहीं दफनाने दे रहे हैं. आदिवासियों का मानना है कि यदि ईसाई का शव जमीन में दफनाया गया तो पूरी मिट्टी दूषित हो जाएगी. इस तरह के विवाद हर महीने सामने आ रहे हैं. वहीं ईसाई बन चुके आदिवासी आरोप लगा रहे हैं कि उनके परिवार के लोगों की कब्र खोदकर शव गांव से बाहर फेंके जा रहे हैं.