नारायणपुर: खरीफ की प्रमुख फसल (major kharif crop) धान, मक्का की विभिन्न प्रजातियों के बीज कृषि विभाग के कृषि कार्यालय (agriculture office) से किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत निःशुल्क वितरण किए जाते हैं, लेकिन खरीफ वर्ष 2021 के लिए कृषि बीज किसानों को नहीं मिल रहे हैं. किसान कई दिनों से विभाग के चक्कर लगा रहे हैं. उन्हें उम्मीद थी कि हाइब्रिड धान (hybrid seed) और मक्का के बीज मिलेंगे, ताकि वे अच्छी खेती कर सकें, लेकिन किसानों को इस बार हाइब्रिड बीज नहीं मिल पाए हैं, जिसे लेकर वे कृषि विभाग से निःशुल्क बीज की मांग कर रहे हैं.
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किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत उन्नत कृषि करने के लिए हाइब्रिड धान और मक्का सहित अन्य कई तरह की किस्म के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं. खरीफ 2021 वर्ष में वरिष्ठ कृषि कार्यालय नारायणपुर ओरछा दोनों ब्लॉक को अभी तक कृषि बीज प्राप्त ही नहीं हुए हैं. जिससे किसानों को अब तक बीज नहीं मिल पाए हैं. किसानों का कहना है कि हमें प्रतिवर्ष धान मक्का सहित अन्य कृषि विभाग से निःशुल्क बीज मिलता था. हमें उम्मीद थी कि इस वर्ष भी बीज प्राप्त होगा, पर नहीं हो रहा. अभी धान बोने के साथ अन्य कृषि कार्य का समय भी आगे बढ़ता जा रहा है, इसलिए मजबूरन दुकानों से महंगे दाम पर बीज खरीदना पड़ रहा है. जिससे हम गरीब किसानों को कोरोना संक्रमण के चलते आर्थिक तंगी की मार झेलनी पड़ रही है. किसानों को निःशुल्क हाइब्रिड बीज उपलब्ध नहीं होने के चलते दोहरी मार पड़ रही है.
नहीं मिल रहा कृषि योजनाओं का लाभ
कृषि विभाग के द्वारा संचालित ग्रामीण किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की योजनाएं संचालित होती हैं, लेकिन लोगों तक कितनी योजनाएं पहुंच पाती हैं, यह अंदाजा लगाया जा सकता है. जब इस सीजन में किसानों को मिलने वाली निःशुल्क हाइब्रिड बीज सहित और अन्य मिलने वाली योजनाओं से वंचित किसान मजबूरन हताश होकर दुकानों और प्राइवेट संस्थानों से महंगे दामों में बीज की खरीदी करते हैं.
किसान विभाग के दफ्तर के चक्कर काट रहे किसान, उठ गया है भरोसा
वरिष्ठ कृषि कार्यालय नारायणपुर और ओरछा दोनों कार्यालयों में प्रतिदिन सुबह से दर्जनों किसान पहुंचते हैं. उन्हें उम्मीद थी कि कुछ कृषि योजनाओं का लाभ इस बरसात के सीजन में सही समय पर मिल जाए, लेकिन किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा. उल्टे उन्हें विभाग और दफ्तर के कई चक्कर लगाकर आश्वासन के बाद मायूस होकर लौटना पड़ रहा है. जिससे किसान विभागों से दूरी बनाना ही सही समझ रहे हैं.