नारायणपुर:जिले के धौड़ाई-बारसूर रोड पर मंगलवार शाम नक्सली हमले में 5 जवान शहीद हो गए. शाम लगभग 4:30 बजे नक्सलियों ने ऑपरेशन से लौट रहे जवानों पर घात लगाकर बड़ा हमला किया. बता दे कि काफी लंबे अंतराल के बाद नक्सलियों ने फोर्स पर इतना बड़ा हमला किया है. धौड़ाई थाना क्षेत्र के ग्राम कन्हारगांव और कड़ेनार के बीच एक पुल पर नक्सलियों ने काफी मात्रा में विस्फोटक लगाया था. कैम्प से लौट रही जवानों की बस पुल के समीप पहुंची नक्सलियों ने विस्फोटक को दाग दिया. धमाका इतना शक्तिशाली था कि पूरी बस उछलकर पुल से कई फीट नीचे जा गिरी. बस का सामने का हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुआ. बस में 28 जवान सवार थे. हमले में बस चालक समेत पांच डीआरजी के जवान शहीद हुए. वहीं जिला अस्पताल नारायणपुर में 12 से अधिक जवानों का इलाज चल रहा है. इधर गंभीर रुप से 7 घायल जवानों का इलाज रायपुर के निजी अस्पताल में चल रहा है.
नारायणपुर नक्सली हमले के ग्राउंड जीरो पर ETV भारत की टीम पहुंची. जहां हमारी टीम ने घटना स्थल का जायजा लिया. जिस इलाके में नक्सलियों ने ब्लास्ट किया है, वह नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है. साधारण शब्दों में नक्सलियों की इस इलाके में हुकूमत चलती है. इस इलाके की सुरक्षा की जिम्मेदारी माड़ डिवीजन के कंधों पर दे रखी है. इसी इलाके में नक्सलियों ने 10 साल पहले 29 जून 2010 को सीआरपीएफ बटालियन के 70 जवानों पर घात लगाकर हमला कर दिया था और इस हमले में 26 जवान शहीद हो गए थे.
ग्राउंड जीरो पहुंची ETV भारत की टीम
ETV भारत की टीम ने ग्राऊंड जीरो का जायजा लिया. जिस जगह पर आईडी ब्लास्ट किया गया. वहां तकरीबन 5 फीट से अधिक का गड्ढा ब्लास्ट से हुआ था. जिसे बुधवार सुबह सड़क पर यातायात शुरू करने के लिए समतल किया गया. ब्लास्ट इतना धमाकेदार था कि बस रोड से लगभग 15 फीट ऊपर जाने के साथ ही 20 फीट पुल के नीचे जा गिरी. इस बीच जब ब्लास्ट से बस ऊपर उड़ी, इसमें विद्युत की हाई टेंसन तार को भी अपनी चपेट में लिया. जिसकी वजह से तार भी टूट गया. इस दौरान बस कई बार पलटी होने से बस के पार्ट्स टूटे और परखच्चे उड़ गए. कुछ जवानों के सामान भी इधर-उधर पड़ा मिला.
तीन बसों में थे जवान,पहली बनी निशाना
जवानों को कन्हरगांव कैंप और उसके बाद नारायणपुर तक लाने तीन बसों का उपयोग किया गया था, जिस बस को नक्सलियों ने उड़ाया वह सबसे सामने चल रही थी. जैसे ही पहली बस पुल के पास पहुंची तो नक्सली से उसे उड़ा दिया. पीछे की बसों में आ रहे जवानों ने ही रेस्क्यू किया.