नारायणपुर: जिले के धुर नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ इलाका में लगातार हो रहे धर्मांतरण को लेकर सर्व समाज के ग्रामीणों ने मोर्चा खोल रखा (boycott of Abujhmad Christian supporters in narayanpur) है. यह शांत होने का नाम नहीं ले रहा. पूरे अबूझमाड़ क्षेत्र से इसाई समर्थकों के बहिष्कार करने को लेकर ग्रामीण उग्र हैं. अब इसाई समर्थक द्वारा गांव से भगाने, गांव में वापस आने पर मारने और घर के समान को कब्जे में लेने जैसे ग्रामीणों पर झूठी रिपोर्ट दर्ज करा कर थाना से नोटिस जारी किये जाने को लेकर ग्रामीण (Case registered against villagers for boycott of Abujhmad Christian) आक्रोशित हैं.
ग्रामीणों को मंहगा पड़ा विरोध इनके खिलाफ मामला दर्ज
कुकड़ाझोर थाना द्वारा ग्रामीणों को एक नोटिस जारी किया गया था. इसमें उल्लेख था कि ग्राम आकाबेड़ा कस्तूरमेटा में बीते 30 जनवरी की दोपहर 1:00 बजे ग्राम पंचायत द्वारा कस्तूरमेटा बाजार स्थल मीटिंग में मारपीट की गई थी. साथ ही कर घर के सामान, गाय, बैल, बकरी, भैंस भी कब्जे में ले लिये गये थे. वहीं घर के सामान भी बाहर फेंक दिये गये थे. इसके अलावा सामाजिक बहिष्कार कर गांव के बाहर भगा देने की धमकी दी गई थी. साथ-साथ गांव लौटने पर जान से मारने की धमकी भी दी गई थी. इस लिखित शिकायत पर धनीराम पिता गोवर्धन गोटा, मुन्नी गोटा पति धनीराम गोटा समेत दर्जनों ग्रामीणों के नाम इसाई समर्थकों ने थाना कुकड़ाझोर में लिखित शिकायत दी थी. इसके बाद थाना कुकड़ाझोर प्रभारी ने नोटिस जारी कर ग्रामीणों को उपस्थित होने की सूचना दी थी. इसी के तहत अबूझमाड़ के सैकड़ों ग्रामीण थाना पहुंचे थे. इसपर ग्रामीणों ने इसे झूठा बताकर विरोध किया. पूरे मामले में थाना प्रभारी मीडिया के सामने कुछ भी कहने से बचते दिखे.
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अबूझमाड़ में 10 से अधिक ग्राम पंचायत के ग्रामीण धर्मांतरण का विरोध
अबूझमाड़ की ग्राम पंचायत आकाबेड़ा, धुरबेड़ा, कुतुल, पदमकोट, कच्चापाल, कस्तूरमेटा, कलमानार, नेडनार, घमंडी, झारावाही और मंडाली पंचायत के ग्रामीण धर्मांतरण के विरोध में डटे हुए हैं. अबूझमाड़ के 10 से अधिक ग्राम पंचायत से समस्त इसाई प्रचारक एवं समर्थकों का पूरे अबूझमाड़ क्षेत्र से बहिष्कार कर गांव से जाने के लिए इन ग्राम पंचायतों के ग्रामीणों ने ग्राम सभा में प्रस्ताव तैयार कर सर्व सहमति से फैसला लिया है. अबूझमाड़ से इसाई मिशनरी एवं उनके समर्थकों को ग्राम सभा बैठक आयोजित कर समझाइश दी गई थी. लेकिन नहीं समझने और अपने मूल धर्म में वापस नहीं आने पर इस संबंध में जिला प्रशासन कलेक्टर सहित मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भी ज्ञापन के माध्यम से क्षेत्र के अबूझमाड़ ग्रामीणों ने कराया है.
इसाई समर्थक अपने धर्म को ऊंचा बता करा रहे धर्मांतरण
आदिवासी अपनी परंपरा, संस्कृति और रीति-रिवाज को बरकरार रखने को सदियों से प्रतिबद्ध है. अभी अबूझमाड़ क्षेत्र में तेजी से धर्मांतरण को देखते हुए अबूझमाड़ के ग्रामीण विरोध में लामबंद हैं. ग्रामीण चुपकेश्वर देहारी ने बताया कि ईसाई समर्थक अपना धर्म को श्रेष्ठ बता कर बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. दीमक की तरह हमारे समाज को नुकसान मिशनरियों के द्वारा किया जा रहा है. अबुझमाड़ में धर्म परिवर्तन से हमारी रीति-रिवाज, देवी-देवताओं और संस्कृति को धर्मांतरण से नुकसान होगा. जो परंपरा को निर्वाहन सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी करते आ रहे हैं. अब धर्म परिवर्तन ना करने की सलाह और समझाइश देने वालों के खिलाफ ईसाई समर्थक झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा कर जान से मारने, गांव से भगाने और घर की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने संबंधित कुकड़ाझोर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा कर नोटिस जारी कराया गया है जो कि पूरी तरह से गलत है.
इसाई जिस देश के हैं, वही चले जाएं
इस विषय में रामनारायण ग्रामीण होकपाड़ निवासी ने बताया कि पिछले कई वर्षों से अबूझमाड़ में ईसाई समर्थकों और धर्मांतरण करने वालों को ग्राम सभा आयोजित कर ग्राम पंचायतों में प्रस्ताव बनाकर ईसाई धर्म अपना चुके लोगों को समझाइश दी गई. फिर भी नहीं समझ रहे है. इसलिए अबुझमाड़ और पूरे भारत से इसाई समर्थक जिस देश के हैं वहीं जाने कहा गया. उनकी जितनी संपत्ति है वह ले जाएं. इसाई धर्म छोड़कर आप वापस हमारे धर्म में आना चाहते हो तो आप अबूझमाड़ में रह सकते हैं. ईसाई बनाकर अबूझमाड़ में रहना और क्षेत्र में धर्म प्रचार करना नहीं चलेगा.
इस मामले में वासुदेव यादव और परसराम पोयम (ईसाई धर्म अपना चुके परिवार के सदस्य) ने बताया कि हमारे परिवार से धर्म परिवर्तन कर ईसाई मिशनरी को अपना रहे हैं. हमें भी धर्म परिवर्तन करने बोला गया लेकिन हम अपनी संस्कृति और गांव के सभी ग्रामीणों के समर्थन में आए. हमने धर्म परिवर्तन नहीं किया. कुकड़ाझोर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया गया है कि हमें गांव से भगाया गया और हमारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. यह रिपोर्ट गलत है क्योंकि हम जो ईसाई मिशनरी अपनाये हैं. उसी परिवार से हैं और उनके द्वारा झूठी रिपोर्ट दर्ज करा कर मारने गांव के भगाने,घर की संपत्ति को जबरदस्ती नुकसान पहुंचाने कहा है जो सरासर गलत है. क्योंकि हम उन्हीं के फैमिली से हैं और अभी हम गांव में रहते है.