अबूझमाड़ के आदिवासियों को सरकार गंवार और जानवर से कम नहीं समझती: अरविंद नेताम - जल जंगल जमीन
अबूझमाड़ के ग्रामीण माड़ बचाओ मंच के बैनर तले अपनी तीन सूत्रीय मांगो को लेकर पिछले आठ महीनों से घने जंगलों के बीच धरना दे रहे हैं. बावजूद इसके इनकी मांगों को लेकर अब तक जिला प्रशासन और राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए. इस कारण हजारों ग्रामीण 23 दिनों के बाद दूसरी बार मंगलवार की शाम को जिला मुख्यालय पर अपनी आवाज बुलंद करने पहुंचे और कलेक्टर को मांगपत्र सौंपा.
आदिवासी नेता अरविंद नेताम
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Published : Jun 7, 2023, 11:41 PM IST
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Updated : Jun 8, 2023, 6:37 AM IST
अबूझमाड़ के चार स्थानों पर धरना प्रदर्शन
नारायणपुर:जिला मुख्यालय के बखरूपारा में बुधवार को धरना प्रदर्शन कर रहे अबूझमाड़ के ग्रामीणों को सर्व आदिवासी समाज, गोंडवाना समाज, हल्बा समाज, माडिया समाज का समर्थन मिला. आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने अबूझमाड़ को स्वतंत्र बताते हुए कहा कि "ग्रामीणों को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करना पड़ रहा है, ये राज्य सरकार की विफलता है. अब आदिवासी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन नहीं करेगा बल्कि आगामी विधानसभा में चुनाव लड़ेगा और अपना हक लेकर रहेगा."
राज्य सरकार तक मांग पहुंचाने का कलेक्टर ने दिया भरोसा:जिला कलेक्टर अजीत वसंत ने कहा कि "ग्रामीणों की मांगों का ज्ञापन राज्य सरकार को भेजा जाएगा. इनकी मांगे राज्य स्तर से ही पूरी हो पाएंगी." ज्ञात हो की नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ में हजारों ग्रामीण अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 8 महीने से अबूझमाड़ के चार स्थानों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
ये हैं आदिवासियों की मांगें:अबूझमाड़ के ग्रामीणों की 3 सूत्रीय मांगों में पेशा कानून 1996 का लागू कराने के साथ ही वन संरक्षण अधिनियम 2022 और प्रस्तावित नवीन पुलिस कैंप को रद्द करने जैसी मांगों को लेकर ग्रामीण अपना प्रदर्शन कर रहे हैं. ग्रामीणों की मांगों पर ना ही जिला प्रशासन और ना ही राज्य सरकार द्वारा अब तक कोई कदम नहीं उठाए जाने के कारण हजारों ग्रामीण मिलो का सफर पैदल तय कर जिला मुख्यालय पहुंचे थे.
बिना सर्वे खादान खोलना गलत:सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद नेताम ने कहा "जब अबूझमाड़ का सर्वे नहीं हुआ, जब वहां कोई बंदोवस्त नहीं है, तो सरकार खदान कैसे खोल रही है. अबूझमाड़ के आदिवासियों को सरकार गंवार और जानवर से कम नहीं समझती. यहां के आदिवासियों को अपने हक के लिए हमेशा आंदोलन करना पड़ता है और सरकार में मंत्री बनकर बैठे आदिवासी नेता अपनी चुप्पी साधे रहते हैं. अब आदिवासी को अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने की बजाय आगामी विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़कर बस्तर की 12 सीटों पर आदिवासी नेता को जीतना है. फिर कैसे सरकार आदिवासियों के हक से अपना मुंह फेरेगी."
कूतुल कला टीम ने दी प्रस्तुति:प्रदर्शन के क्रम में कूतुल कला टीम ने हिंदी, गोंडी और स्थानीय भाषाओं में गीत गाकर नृत्य के माध्यम से अपने अधिकार 'जल जंगल जमीन' की रक्षा करने जैसे कार्यक्रम की प्रस्तुति दी. यहां पहुंचे हजारों ग्रामीणों ने सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष और समाज के अन्य पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया. इसके बाद सभी ग्रामीण मुख्यालय से अबूझमाड़ की ओर वापस लौट गए.