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लोरमी में त्रिकोणीय मुकाबले ने बढ़ाई अरुण साव की टेंशन, जानिए लोरमी सीट का पूरा समीकरण !

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 15, 2023, 10:09 PM IST

lormi assembly elections: मुंगेली जिले का लोरमी विधानसभा सीट इस समय काफी चर्चा में है. चर्चा इसलिए है कि यहां से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर से लोकसभा सांसद अरुण साव चुनाव लड़ रहे हैं. इस के साथ ही कांग्रेस ने यहां अपना प्रत्याशी साहू समाज के पूर्व अध्यक्ष को बनाया है. जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी सागर सिंह बैंस भी पूरी ताकत के साथ चुनावी रण में कूद चुके हैं.

Triangular contest in Lormi assembly elections
लोरमी में त्रिकोणीय मुकाबला

मुंगेली: जिले का लोरमी विधानसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट हो गया है. बीजेपी, कांग्रेस के साथ जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी की किस्मत जनता जनार्दन के हाथ में है. लोरमी विधानसभा जिला निर्माण के बाद से अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है. यहां से जीतकर आने वाले विधायक राज्य स्तर तक जाते हैं.

लोरमी में त्रिकोणीय मुकाबला: बीजेपी ने इस बार कई सांसदों को विधानसभा चुनाव के रण में उतारा है. उसी कड़ी में यहां भी बिलासपुर सीट से बीजेपी के सांसद और छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष अरुण साव को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए उन्हीं के समाज के छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष और साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके थानेश्वर साहू को प्रत्याशी बनाया है. यदि इस विधानसभा से तीसरी शक्ति के रूप में बात करें तो जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी सागर सिंह बैंस भी पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं.उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दी इसलिए चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर जोगी कांग्रेस में शामिल हो गए. और इस पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस चुनाव में सभी राजनीतिक दल कमर कस कर एक दूसरे को पटखनी देने की रणनीति बनाते हुए काम कर रहे हैं.

सामाजिक वोटों का हो रहा ध्रुवीकरण: अरुण साव ओबीसी साहू समाज से आते हैं. वो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. अगर चुनाव जीत जाते हैं. और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती है. तो वह बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. ये संभावना भी है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के बाहुल्य वाले क्षेत्र में जातिगत वोट काफी मायने रखते हैं. सामाजिक वोटों को साधने वाले प्रत्याशी ही विधानसभा पहुंच सकेंगे. अरुण साव चुनाव को कड़ी टक्कर देने के लिए उन्हीं के समाज के थानेश्वर साहू को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है.लोरमी विधानसभा में साहू समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है.इसलिए भाजपा ने 1993 से लेकर 2023 तक लगातार सात बार इसी वर्ग का कैंडिडेट उतारा है.हालांकि इसमें से सिर्फ दो प्रत्याशी मुनीराम साहू और तोखन साहू ही एक-एक बार विधानसभा पहुंचे. जबकि सामान्य वर्ग के धर्मजीत सिंह ठाकुर यहां से तीन बार कांग्रेस से और एक बार जोगी कांग्रेस की टिकट पर विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं.

लोरमी सीट का चुनावी इतिहास समझिए

  1. 2003 में धर्मजीत सिंह कांग्रेस के टिकट पर लड़े और जीते
  2. 2008 धर्मजीत सिंह कांग्रेस के टिकट पर फिर दोबारा जीते
  3. 2013 में बीजेपी के तोखन साहू जीते
  4. साल 2018 में जेसीसीजे के टिकट पर धर्मजीत सिंह जीते
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लोरमी का जातीय समीकरण: यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक लगभग 52000 है. पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आने वाले साहू समाज के वोटरों की संख्या करीब 45 हजार है. अनुसूचित जनजाति वर्ग के करीब 18000 मतदाता हैं. सामान्य वर्ग के लगभग 45000 मतदाता हैं. इसमें पिछड़ा वर्ग के कुर्मी समाज के भी मतदाता बड़ी संख्या में हैं. माना जा रहा है कि सामाजिक ध्रुवीकरण से ही प्रत्याशी की जीत हो सकती है, लेकिन इस मामले में यह कहा जा सकता है कि जो प्रत्याशी साहू समाज के साथ ही सतनामी समाज का भरोसा जीत पाएगा. वह लोरमी सीट से विधायक चुना जाएगा.

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