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मुंगेली: एल्डरमैन के खिलाफ नहीं हुई कार्रवाई, वार्डवासियों ने दी चक्काजाम की चेतावनी - मुंगेली न्यूज

नगर पंचायत लोरमी में एल्डरमैन पालेश्वर राजपूत और उनके रिश्तेदार चूणामणि सिंह राजपूत के शासकीय भूमि पर अतिक्रमण का आरोप है. तहसीलदार की ओर से कराई गई जांच में आरोप सही पाए गए, लेकिन एल्डरमैन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसकी वजह से वार्डवासियों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

No action taken against aldermen
एल्डरमेन पर नहीं हुई कार्रवाई

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Published : Oct 10, 2020, 7:36 PM IST

मुंगेली:नगर पंचायत लोरमी के वार्ड क्रमांक 10 में नगर कांग्रेस के एल्डरमैन पालेश्वर राजपूत और उनके रिश्तेदार चूणामणि सिंह राजपूत के शासकीय भूमि पर अतिक्रमण करने का मामला तूल पकड़ते जा रहा है. अतिक्रमण की शिकायत वार्ड क्रमांक 10 के पार्षद और वार्डवासियों ने लोरमी एसडीएम और तहसीलदार से की थी. तहसीलदार ने इसकी जांच पटवारी और आरआई से कराई थी. जांच में अतिक्रमण के आरोप सही पाए गए.

एल्डरमेन पर कार्रवाई की मांग

लोरमी एसडीएम ने वार्डवासियों को आश्वासन दिया था कि 3 दिन के अंदर अतिक्रमण हटा दिया जाएगा. कार्रवाई करते हुए लोरमी नग रपंचायत सीएमओ ने एल्डरमैन पालेश्वर राजपूत और चूणामणि राजपूत को नोटिस जारी किया था. जिसका जवाब नहीं देने पर 9 अक्टूबर को अतिक्रमण हटाने का भी नोटिस जारी किया गया, लेकिन अधिकारियों ने कलेक्टर के स्थगन के आदेश का हवाला देते हुए कार्रवाई नहीं की.

पढ़ें-लोरमी के एल्डरमैन पर सरकारी जमीन के अवैध कब्जे का आरोप, पार्षद समेत वार्डवासी हुए लामबंद

जिसके बाद से वार्डवासियों में अधिकारियों के प्रति आक्रोश है. वहीं अतिक्रमण नहीं हटने पर सभी वार्डवासी लोरमी एसडीएम के पास ज्ञापन देने पहुंचे. जहां उन्होंने एसडीएम को ज्ञापन देते हुए कहा कि जल्द ही अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो 13 अक्टूबर को तहसील चौक में चक्काजाम किया जाएगा. जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी. इस मामले में लोरमी एसडीएम ने बताया कि कलेक्टर की ओर से स्थगन आदेश दिया गया है. जिसके तहत आगामी आदेश तक अतिक्रमण के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करनी है.

प्रशासन पर उठ रहे सवाल

बड़ा सवाल ये उठता है कि तहसीलदार के निर्देश पर पांच पटवारी और एक राजस्व निरीक्षक की टीम ने जमीन का सीमांकन किया था. जिसमें शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करना पाया गया था. जिसके बाद अतिक्रमण हटाने का आश्वासन अधिकारियों ने दिया, लेकिन कब्जाधारियों ने कलेक्टर कार्यालय से स्थगन आदेश ले लिया. आखिर कलेक्टर कार्यालय से किन कागजी सबूतों के आधार पर इस मामले में स्थगन आदेश दिया गया या फिर सत्ता पक्ष के दबाव में आकर कलेक्टर ने स्थगन आदेश दिया, यह सबसे बड़ा सवाल है.

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