Children Sweeping In School: नौनिहालों के हाथों में किताब के बदले झाड़ू ! - मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर
Children Sweeping In School मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के एक स्कूल में बच्चों के हाथों में किताबों के बदले झाड़ू दिखा. मामले में स्कूल की शिक्षिका बात को टालती नजर आईं. वहीं स्कूल के प्राचार्य ने कार्रवाई की बात कही है.
हाथों में किताब के बदले झाड़ूूू
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Published : Aug 11, 2023, 10:40 PM IST
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Updated : Aug 11, 2023, 11:04 PM IST
डोंगरी टोला प्राथमिक शाला स्कूल
मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर:बच्चे देश का भविष्य होते हैं. देश के भविष्य को संवारने के लिए ही बच्चों को स्कूल में पढ़ने भेजा जाता है. हालांकि मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के एक स्कूल में बच्चों के हाथों में किताब नहीं बल्कि झाड़ू दिखा. ये बच्चे स्कूल गए तो थे पढ़ने लेकिन यहां इनके हाथ में झाड़ू थमा दिया गया और इनसे स्कूल की सफाई करवाई गई.
झाड़ू पकड़े नौनिहाल:दरअसल, ये मामला मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के भरतपुर विकास खंड का है. यहां डोंगरी टोला प्राथमिक शाला स्कूल में नौनिहाल बच्चों से काम कराया जा रहा है. इस स्कूल में सफाईकर्मी है. फिर भी नौनिहालों से स्कूल की सफाई कराई जा रही है. स्कूल के पास में कुछ एक्सपायरी दवाइयां भी फेंकी हुई हैं. इसे खुले में ही फेंका गया है. अगर कोई बच्चा गलती इसे खा ले, तो कोई बड़ी घटना भी हो सकती है.
शिक्षिका ने किया टालमटोल:शासकीय प्राथमिक शाला डोंगरी टोला स्कूल में 53 बच्चें है. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक हैं. लेकिन स्कूल में प्रधान पाठक मनमाने ढंग से स्कूल आते हैं. कभी-कभी नहीं भी आते हैं. बच्चों के हाथ में झाड़ू देखने के बाद जब ईटीवी भारत ने स्कूल की शिक्षिका से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने टाल मटोल किया. उन्होंने खुलकर कुछ भी नहीं बताया और मामले से अंजान बनी रही.
प्रधान पाठक मनमाने ढंग से स्कूल आते हैं. कभी-कभी नहीं भी आते हैं. इनके स्कूल में भ्रमण पंजी, अवकाश पंजी, चखना पंजी अपडेट है. स्कूल के शिक्षक बगैर जानकारी के छुट्टी ले लेते हैं. -अशोक सिंह, स्कूल प्राचार्य
स्कूल प्रचार्य ने दिया कार्रवाई का आश्वासन: स्कूल के बाहर खुले में बची हुई एक्सपायरी दवाइयों को लेकर स्कूल प्राचार्य ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है. वहीं, इस पूरे मामले में स्कूल प्रबंधन की लापरवाही साफ तौर पर दिख रही है. इस पूरे मामले को देखकर साफ पता चलता है कि स्कूल को बच्चों के जीवन और उनके भविष्य से कोई लेना-देना नहीं है.