मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर :छत्तीसगढ़ मेंशारदीय नवरात्रि के लिए देवी मंदिरों की साज सज्जा की जा रही है. आज हम आपको नवरात्रि के पावन अवसर पर चांग माता के दर्शन कराने जा रहे हैं. चांग माता के मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं.लेकिन कम लोगों को ही माता की स्थापना के बारे में पता है. ईटीवी भारत ने चांग माता से जुड़ी बातों को जाना,इस दौरान ये जानकारी हुई कि क्यों माता की महिमा आज भी भक्तों पर अपरम्पार है.
कहां है चांग माता का मंदिर ? :मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के भरतपुर विकासखंड में माता चांग देवी का दरबार है.यहां के भगवानपुर में चांग माता का मंदिर है.जहां लोग माता के दर्शन करते हैं.लेकिन शायद कम लोगों को ही पता है जिस चांग माता मंदिर की ख्याति पूरे देश में मशहूर है,उसके स्थापना के पीछे की कहानी क्या है.क्योंकि भगवानपुर के मंदिर में हम जिस चांग माता के दर्शन करते हैं,वो माता का आधा स्वरूप है. माता के शरीर का आधा हिस्सा आज भी अपने मूल स्थान पर है.ये मूल स्थान भरतपुर के खोहरा में है.जहां कभी बालंद राजाओं का शासन हुआ करता था.
खोहरा से चांग माता का नाता :पुरातन काल में भरतपुर विकासखंड में चौहान राजाओं का शासन था.जिन्होंने बालंद राजाओं को पराजित करके राज्य में सत्ता हासिल की थी. चांग माता बालंद राजाओं की कुलदेवी मानी जाती है. किवदंतियों की माने तो खोहरा के आसपास 8 गांव में बालंद की जमींदारी थी.लेकिन जब चौहानों का आक्रमण हुआ तो बालंद जमींदार पर जीत हासिल नहीं हुई.चौहान राजा हर बार दोगुना ताकत से हमला करता लेकिन बालंद के आगे हार जाता.ऐसा कहा जाता है कि चांग माता ने बालंद जमींदार को वरदान दिया था.जिसके कारण उसे पराजित नहीं किया जा सकता था.लेकिन राज्य हार चुके बालंद राजाओं की दुर्दशा को देखकर खुद बालंद जमींदार ने अपनी हार के रहस्य को चौहान राजाओं को बता दिया.