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SPECIAL: बिहान योजना ने बदली महिलाओं की तकदीर, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया कदम

छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना 'बिहान' के तहत महासमुंद जिले में महिलाएं अलग-अलग स्वसहायता समूह से जुड़कर गौठान में वर्मी खाद, गोबर के दीये, कंडे, बंबू क्राफ्ट, कढ़ाई-बुनाई, आकर्षक टेराकोटा से सजावटी सामान, साबुन, फिनाइल, मोमबत्ती, शैंपू, वॉशिंग पाउडर, मसाला सहित कई चीजों का उत्पादन कर रही हैं. स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाएं घरेलू उत्पादों के साथ ही कला से जुड़ी चीजें भी बना रही हैं और अच्छा आय अर्जित कर रही हैं.

mahasamund women self help groups
महासमुंद में बिहान योजना

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Published : Oct 29, 2020, 2:00 PM IST

महासमुंद:राष्ट्रीय ग्रामीण योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं को रोजगार देने और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बिहान योजना की शुरुआत की गई. आज बिहान योजना से जुड़ी महिलाएं छोटे-छोटे नवाचार कर अच्छे पैसे कमा रही हैं और अपना घर संवार रही हैं. महासमुंद में बिहान योजना के तहत कई स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाएं घरेलू उत्पादों के साथ ही कला से जुड़ी चीजें भी बना रही हैं. रोजगार पाकर महिलाएं खुश हैं. कभी घर में रहने वाली महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं.

महासमुंद में बिहान योजना से चमक रही महिलाओं की किस्मत

छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना के तहत महासमुंद जिले में महिलाएं अलग-अलग स्वसहायता समूह में जुड़कर गौठान में वर्मी खाद, गोबर के दीये, कंडे, बंबू क्राफ्ट, कढ़ाई-बुनाई, आकर्षक टेराकोटा से सजावटी सामान, साबुन, फिनाइल, मोमबत्ती, शैंपू, वॉशिंग पाउडर, मसाला सहित कई चीजों का उत्पादन कर रही हैं.

घरेलु उत्पाद बना रही महिलाएं

कुटीर उद्योग से महिलाएं संवार रहीं अपना जीवन

स्वसहायता समूह की महिलाओं ने ETV भारत को बताया कि पहले वे घर में रहकर खेती-बाड़ी का काम करती थीं. उनके घर की आर्थिक स्थिति भी खराब थी. अब बिहान योजना के तहत बेहतर रोजगार मिला है, जिससे वे खुश हैं. पैसों के लिए बाहर जाकर मेहनत करने की जरूरत भी नहीं पड़ती, क्योंकि इस योजना के तहत घर बैठे ही काम मिल रहा है.

रुचि के मुताबिक अलग-अलग काम करती हैं महिलाएं

जिला पंचायत सीईओ डॉ रवि मित्तल के मुताबिक, जिले के अंदर 5 हजार 223 समूह का गठन किया गया है. करीब 55 हजार 900 महिलाएं हैं, जो अलग-अलग स्वसहायता समूह से जुड़ी हुई हैं. जिसमें करीब 2 हजार 112 समूह को RF की राशि 15 हजार रुपए दी गई है. करीब 280 (VO) ग्राम संगठन हैं. क्षेत्र में 12 (CLF) क्लस्टर लेवल फोरम हैं. इन तमाम समूहों में जो महिलाएं हैं, वे अपनी रुचि के मुताबिक अलग-अलग गतिविधियों में लगी होती हैं, जैसे- मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन, जैविक खेती, सिलाई-बुनाई, बांस की कलाकृति, हस्तशिल्प सहित मिट्टी के दीये, सजावटी सामान बनाने जैसा काम. इसे महिलाएं बिहान योजना के तहत करती हैं.

महिलाएं बना रही गोबर के दीये
  • मुर्गी पालन से लेकर बकरी पालन:ग्रामीण महिलाओं को बिहान कार्यक्रम के माध्यम से मुर्गी पालन से लेकर बकरी पालन का काम दिया गया है. इससे उनकी आय दोगुनी तक हो गई है.
  • गोधन योजना से लाभ:प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन योजना का जिम्मा महिलाओं के पास ही है. गांवों में गौठान में सब्जी की पैदावार से लेकर अन्य चीजों का उत्पादन भी कर रही हैं. यही नहीं, योजना के तहत गोबर से खाद भी महिलाएं बना रही हैं. इसके साथ ही गोबर के गमले, दीये और सजावट के दूसरे सामान भी बनाए जा रहे हैं.
  • बांस के सामान:बांस की मदद से महिलाएं अलग-अलग सजावटी और जरूरी सामान बना रही हैं. जिससे उनकी कलात्मकता बाहर आ रही है. तमाम मेलों में प्रदर्शनी लगाकर महिलाएं इन कलाकृतियों से भी पैसे कमा रही हैं.
  • घरेलू उत्पाद:घर में इस्तेमाल किए जाने वाले वॉशिंग पाउडर, साबुन, हैंड वॉश, फिनाइल सहित हल्दी और मिर्च पाउडर और कई मसालें भी वे तैयार कर रही हैं. इन सभी सामानों को जल्द ही ऑनलाइन बेचने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. जिससे ज्यादा से ज्यादा उत्पादों को बेचा जा सके.
    बांस से बना रही सजावट के सामान

महिलाओं को मिल चुका है 4 करोड़ का लोन

जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि समूह गठन का उद्देश्य तीन चरणों में होता है. सबसे पहले महिलाओं को संगठित किया जाता है, ताकि वे सभी आपस में लेन-देन करें. महिलाओं को कम ब्याज के साथ लोन दिलाया जाता है, जिसकी मदद से वे अपना काम शुरू कर सकें. लगातार रोजगार के लिए भी उन्हें प्रमोट किया जाता है. अब तक अलग-अलग समूह को करीब 4 करोड़ तक का लोन दिया गया है. जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि इस बार लक्ष्य से ज्यादा लोन दिलाने के लिए काम करेंगे.

जरूरत पड़ने पर एक-दूसरे की मदद

भंवरपुर पंचायत की संगवारी, महालक्ष्मी और मां भवानी महिला स्वसहायता समूह की 30 महिला महिलाओं ने मिलकर एक नाम रखा संगवारी महिला स्वसहायता समूह. सभी मिलकर हर महीने 100 रुपए जमा करती हैं. जरूरत पड़ने पर अपने समूह की महिलाओं को 2 प्रतिशत ब्याज पर ये पैसा देती हैं.

दुर्ग में लगाई प्रदर्शनी, मिला मुनाफा

महिलाओं को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 15 हजार रुपए एनसीपी और सामुदायिक निवेशकों से 60 हजार रुपए मिले. इन महिलाओं को आरटीसी के माध्यम से वॉशिंग पाउडर, फिनायल, मोमबत्ती आदि बनाने का 10 दिन का प्रशिक्षण मिला. जिसके बाद महिलाएं अब सभी सामानों का उत्पादन कर हजारों कमा रही हैं. दुर्ग जिले में लगे सरस मेले में इन महिलाओं ने अपने प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी लगाई, जहां से इन्हें करीब 10 से 15 हजार तक का मुनाफा मिला. सामान बिकने से महिलाओं को जोश मिला.

धीरे-धीरे इन महिलाओं को बैंकों से जोड़ा गया. जिसके बाद इन्हें 2 लाख का लोन मिला. उसका आधा पैसा इन महिलाओं ने फिनाइल, वॉशिंग पाउडर के उद्योग में लगाया और आधे पैसे को आपस में 2 प्रतिशत ब्याज पर बांट लिया. ऐसा कर महिलाएं दोगुना पैसा कमा रही हैं और खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही हैं.

ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को जोड़ने का प्रयास

जिला प्रशासन की तरफ से महिलाओं के बनाए इन सामानों की मार्केटिंग के लिए 'हमर विरासत सिरपुर' के विहान मार्ट या जिला प्रशासन के योजना के तहत दुकानों में प्रमोट किया जा रहा है. जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इससे जुड़ें.

पढ़ें- SPECIAL: मशरूम उत्पादन ने बदली किस्मत, कभी घर से बाहर न निकलने वाली महिलाएं अब कमा रहीं लाखों

'एक विकासखंड एक आजीविका' योजना के तहत भी ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का काम लगातार किया जा रहा है. वहीं महिलाएं हस्तशिल्प जैसी विशेष कला से भी परिपूर्ण हैं, जिन्हें आगे आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसके साथ ही महिलाओं के बनाए गए प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उतारने का काम किया जा रहा है.

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