महासमुंद:राष्ट्रीय ग्रामीण योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं को रोजगार देने और कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बिहान योजना की शुरुआत की गई. आज बिहान योजना से जुड़ी महिलाएं छोटे-छोटे नवाचार कर अच्छे पैसे कमा रही हैं और अपना घर संवार रही हैं. महासमुंद में बिहान योजना के तहत कई स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाएं घरेलू उत्पादों के साथ ही कला से जुड़ी चीजें भी बना रही हैं. रोजगार पाकर महिलाएं खुश हैं. कभी घर में रहने वाली महिलाएं अब आत्मनिर्भर बन रही हैं.
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना के तहत महासमुंद जिले में महिलाएं अलग-अलग स्वसहायता समूह में जुड़कर गौठान में वर्मी खाद, गोबर के दीये, कंडे, बंबू क्राफ्ट, कढ़ाई-बुनाई, आकर्षक टेराकोटा से सजावटी सामान, साबुन, फिनाइल, मोमबत्ती, शैंपू, वॉशिंग पाउडर, मसाला सहित कई चीजों का उत्पादन कर रही हैं.
कुटीर उद्योग से महिलाएं संवार रहीं अपना जीवन
स्वसहायता समूह की महिलाओं ने ETV भारत को बताया कि पहले वे घर में रहकर खेती-बाड़ी का काम करती थीं. उनके घर की आर्थिक स्थिति भी खराब थी. अब बिहान योजना के तहत बेहतर रोजगार मिला है, जिससे वे खुश हैं. पैसों के लिए बाहर जाकर मेहनत करने की जरूरत भी नहीं पड़ती, क्योंकि इस योजना के तहत घर बैठे ही काम मिल रहा है.
रुचि के मुताबिक अलग-अलग काम करती हैं महिलाएं
जिला पंचायत सीईओ डॉ रवि मित्तल के मुताबिक, जिले के अंदर 5 हजार 223 समूह का गठन किया गया है. करीब 55 हजार 900 महिलाएं हैं, जो अलग-अलग स्वसहायता समूह से जुड़ी हुई हैं. जिसमें करीब 2 हजार 112 समूह को RF की राशि 15 हजार रुपए दी गई है. करीब 280 (VO) ग्राम संगठन हैं. क्षेत्र में 12 (CLF) क्लस्टर लेवल फोरम हैं. इन तमाम समूहों में जो महिलाएं हैं, वे अपनी रुचि के मुताबिक अलग-अलग गतिविधियों में लगी होती हैं, जैसे- मशरूम उत्पादन, मुर्गी पालन, जैविक खेती, सिलाई-बुनाई, बांस की कलाकृति, हस्तशिल्प सहित मिट्टी के दीये, सजावटी सामान बनाने जैसा काम. इसे महिलाएं बिहान योजना के तहत करती हैं.
- मुर्गी पालन से लेकर बकरी पालन:ग्रामीण महिलाओं को बिहान कार्यक्रम के माध्यम से मुर्गी पालन से लेकर बकरी पालन का काम दिया गया है. इससे उनकी आय दोगुनी तक हो गई है.
- गोधन योजना से लाभ:प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन योजना का जिम्मा महिलाओं के पास ही है. गांवों में गौठान में सब्जी की पैदावार से लेकर अन्य चीजों का उत्पादन भी कर रही हैं. यही नहीं, योजना के तहत गोबर से खाद भी महिलाएं बना रही हैं. इसके साथ ही गोबर के गमले, दीये और सजावट के दूसरे सामान भी बनाए जा रहे हैं.
- बांस के सामान:बांस की मदद से महिलाएं अलग-अलग सजावटी और जरूरी सामान बना रही हैं. जिससे उनकी कलात्मकता बाहर आ रही है. तमाम मेलों में प्रदर्शनी लगाकर महिलाएं इन कलाकृतियों से भी पैसे कमा रही हैं.
- घरेलू उत्पाद:घर में इस्तेमाल किए जाने वाले वॉशिंग पाउडर, साबुन, हैंड वॉश, फिनाइल सहित हल्दी और मिर्च पाउडर और कई मसालें भी वे तैयार कर रही हैं. इन सभी सामानों को जल्द ही ऑनलाइन बेचने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. जिससे ज्यादा से ज्यादा उत्पादों को बेचा जा सके.
महिलाओं को मिल चुका है 4 करोड़ का लोन
जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि समूह गठन का उद्देश्य तीन चरणों में होता है. सबसे पहले महिलाओं को संगठित किया जाता है, ताकि वे सभी आपस में लेन-देन करें. महिलाओं को कम ब्याज के साथ लोन दिलाया जाता है, जिसकी मदद से वे अपना काम शुरू कर सकें. लगातार रोजगार के लिए भी उन्हें प्रमोट किया जाता है. अब तक अलग-अलग समूह को करीब 4 करोड़ तक का लोन दिया गया है. जिला पंचायत सीईओ का कहना है कि इस बार लक्ष्य से ज्यादा लोन दिलाने के लिए काम करेंगे.