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SPECIAL: कोरोना काल में लाउडस्पीकर बना वरदान, 200 से ज्यादा छात्रों को पढ़ाई में मिल रही मदद - कोरोना काल में पढ़ाई

महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में एक अनोखी पहल की गई है. यहां बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है. कोमाखान ग्राम पंचायत के आसपास चार गांव हैं, जहां तकरीबन चार स्कूलों के कक्षा 1 से 8 तक के 220 छात्र हैं, जिनको शिक्षक विजय शर्मा लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ा रहे हैं.

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छात्रों के लिए लाउडस्पीकर बना वरदान

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Published : Jul 22, 2020, 10:07 PM IST

Updated : Jul 22, 2020, 10:22 PM IST

महासमुंद: कोरोना वायरस के कारण स्कूल, कॉलेज लंबे समय से बंद पड़े हैं, जिससे छात्रों को पढ़ाई करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस परेशानी को देखते हुए ऑनलाइन क्लासेस की सुविधा को शुरू की, लेकिन यह कोशिश ग्रामीण इलाकों में फेल हो गई. ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क के साथ मोबाइल फोन नहीं होने के कारण छात्र शिक्षा से वंचित हो रहे थे, जिसे देखते हुए अब महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में एक अनोखी पहल की गई है. यहां बच्चों को लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है.

कोरोना काल में लाउडस्पीकर बना वरदान

बागबाहरा ब्लॉक के कोमाखान गांव के शिक्षक का कहना है कि बच्चे पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित थे, इसके साथ ही उनके परिजन भी परेशान नजर आ रहे थे, जिसे देखते हुए माइक, एम्लीफायर और लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. शिक्षक बताते हैं गांव में बच्चों को इक्कठा कर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पढ़ाई कराई जा रही है.

220 छात्रों को शिक्षा दे रहे विजय शर्मा

कोमाखान शासकीय उच्च प्राथमिक शाला के शिक्षक विजय शर्मा ने बताया कि चार स्कूलों के कक्षा 1 से 8 तक के 220 छात्र हैं, जिनको 1 एम्पलीफायर, 4 लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ाई करा रहे हैं. इसके अलावा कोमाखान ग्राम पंचायत, लुकूपाली, घोयनाबाहरा के छात्र अपने घरोंं से बाहर निकलकर चबूतरे पर पुस्तक लेकर बैठ जाते हैं, जिसके बाद शिक्षक विजय शर्मा अनोखे अंदाज में लाउडस्पीकर के माध्यम से बच्चों को पढ़ाते हैं.

गांव में शिक्षक के इस प्रयास की हो रही तारीफ

बता दें कि शिक्षक विजय शर्मा ने अपने घर में स्टूडियो तैयार किया है. घर के चारों ओर लाउडस्पीकर लगाकर 10 से 4 बजे तक गांव के बच्चों को पढ़ाते हैं. शाम 5 से 6 बजे तक गांव से लगे दूसरे गांव के बच्चों को भी पढ़ाते हैं. शिक्षक जब अपने घर से पढ़ाते हैं, तो स्कूल के अन्य शिक्षक गांवों में घूमकर छात्रों का ध्यान रखते हैं. बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं, ताकि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई से वंचित न रह जाएं. कोरोना काल के बीच शिक्षक का प्रयास काफी सराहनीय है. बच्चे तो खुश हैं, साथ ही उनके परिजनों की चिंता भी दूर होती नजर आ रही है.

Last Updated : Jul 22, 2020, 10:22 PM IST

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