महासमुंद: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के कारण स्कूल, कॉलेज लंबे समय से बंद पड़े हैं, जिससे छात्रों को पढ़ाई करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इस परेशानी को देखते हुए ऑनलाइन क्लासेज़ 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना की शुरुआत की, लेकिन ग्रामीण अंचलों में ये योजना फ्लॉप साबित हुई है. 'पढ़ई तुंहर दुआर' योजना गांवों में बिना मोबाइल और नेटवर्क के हांफ रही है, जिससे बच्चों की पढ़ाई अधर में लटकी हुई थी. पढ़ाई से वंचित हो रहे छात्र-छात्राओं को देखकर शिक्षकों को लाउडस्पीकर से पढ़ाने का आइडिया आया. अब महासमुंद जिले के बागबाहरा ब्लॉक में बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लाउडस्पीकर से पढ़ रहे हैं. ये तरीका उनके लिए वरदान साबित हो रहा है.
जिले में कुल 1 हजार 957 स्कूल संचालित है, जिसमें प्राथमिक शाला, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं. स्कूलों में लगभग 1 लाख 65 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. करोना महामारी के कारण मार्च 2020 से सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है. जिस पर संज्ञान लेते हुए राज्य शासन ने पढ़ई तुंहर दुआर स्कीम लॉन्च की, जिसके तहत शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन, गली-मोहल्लों में बने रंगमंच, सामुदायिक भवन में जाकर पढ़ाई करा रहे हैं. बच्चों को मास्क पहनाकर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए पढ़ाया जा रहा है. बच्चों को सैनिटाइजर और साबुन से हैंडवॉश भी कराया जा रहा है. वहीं जहां यह सुविधा नहीं है, वहां शिक्षक गांव के चौक-चौराहों पर लाउडस्पीकर के माध्यम से पढ़ा रहे हैं.
85,000 छात्र-छात्राओं को मिल रहा पढ़ई तुंहर दुआर योजना का लाभ