महासमुंद: छत्तीसगढ़ में प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस और लॉकडाउन को देखते हुए भले ही 2 महीने का राशन निःशुल्क देने का ऐलान कर दिया हो, लेकिन गरीबों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. लाकॅडाउन के इस कठिन समय के दौरान भी गरीबों को राशन के लिए परेशान होना पड़ रहा है. गरीबों ने जब सेल्समैन पर राशन की हेराफेरी का आरोप लगाया तो उसने अपनी गलती कूबल की और कहा कि वो पैसे लौटा देगा.
सरकारी राशन दुकान में राशन की धांधली चिंगरौद में सेल्समैन की मनमानी
महासमुंद जिले के चिंगरौद के उचित मूल्य की दुकान में के सेल्समैन की मनमानी से गरीब राशन कार्डधारक परेशान हैं. आरोप है कि जिस उपभोक्ता को 35 किलो चावल देना है, उसे 5 किलो चावल ही दिया जा रहा है और यदि कुछ लोगों को 35 किलो चावल मिल भी रहा है, तो उनके राशन कार्ड में 50 किलो चावल की एंट्री की जा रही है. इसके अलावा तौल में भी भारी गड़बड़ी की जा रही है. इसी से परेशान उपभोक्ताओं ने चिंगरौद की उचित मूल्य की दुकान पर हंगामा कर दिया. हालात ये हो गए कि पुलिस को आकर मामला संभालना पड़ा.
जिले में कंट्रोल की दुकानें और राशन कार्ड उपभोक्ता
- महासमुंद में 577 उचित मूल्य की दुकानें
- 3 लाख 12 हजार 251 उपभोक्ताओं को मिलता है राशन
- 3 तरह के राशन कार्ड
- अन्त्योदय राशन कार्ड, प्राथमिकता राशन कार्ड, APL राशन कार्ड
अन्त्योदय राशन कार्ड
- 35 किलो चावल 1 रुपए प्रति किलो की दर से
- 2 किलो चना 5 रुपए प्रति किलो की दर से
- नमक निःशुल्क
प्राथमिकता राशन कार्ड (सदस्यों के आधार पर राशन)
- 1 सदस्य को 10 किलो
- 2 सदस्य को 20 किलो
- 3 से 5 सदस्यों को 35 किलो
- 5 से ज्यादा सदस्य पर प्रति सदस्य 7 किलो राशन
- सभी को 1 रुपए किलो चावल
- 2 किलो चना 5 रुपए किलो की दर से
- नमक निःशुल्क
राशनकार्ड उपभोक्ताओं का हंगामा
ग्राम पंचायत चिंगरौद में उचित मूल्य की दुकान में कुल 507 उपभोक्ता हैं, जिनमें से अंत्योदय के 81, प्राथमिकता के 387, एपीएल 33 और 6 निःशक्त उपभोक्ता हैं. यहां उचित मूल्य की दुकान के सेल्सेमैन खुद ही मालिक बन बैठे हैं और गरीबों को राशन देने में आनाकानी कर रहे हैं. परेशान उपभोक्ताओं ने जब हंगामा कर दिया, तो सेल्समैन ने सफाई देनी शुरू कर दी. वहीं आला अधिकारी भी मीडिया से जानकारी मिलने की बात कहकर अब कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं.
एक तरफ कोरोना महामारी, लॉकडाउन और उस पर तथाकथित मालिकों की मनमानी ने गरीबों का जीना मुहाल कर दिया है. लॉकडाउन को देखते हुए प्रदेश सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए भले ही दो महीने का राशन मुफ्त में देने की घोषणा कर दी है, लेकिन कुछ लोग अब भी गरीबों के राशन पर डाका डालने से पीछे नहीं हट रहे हैं.