महासमुंद:10 लाख की आबादी वाले महासमुंद जिले में लोगों की जिंदगी में रोशनी बनाए रखने बिजली विभाग दिन-रात कार्यरत है. कोरोना काल में भी विभाग के लोग खतरों के बीच अपना कर्तव्य बखूभी निभा रहे हैं. बिजली विभाग में अलग-अलग शाखाएं हैं, जिनका अलग-अलग काम है. उसी में एक कार्य है बिजली की सप्लाई करने वाले सभी सब स्टेशन के माध्यम से अपने कार्यों को सही रूप में चयनित करना.
सब स्टेशन बिजली ट्रांसमिशन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जहां सुरक्षा और सुरक्षा तंत्र की कमी होने से बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. सब स्टेशनों में सुरक्षा की क्या व्यवस्थाएं हैं. अधिकारी-कर्मचारी जोखिम भरे काम को करते समय कितने सुरक्षित हैं. कोरोना काल में इन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए है. इसकी जमीनी पड़ताल ETV भारत ने की है.
महासमुंद जिले में 26 लाख उपभोक्ता हैं. कृषि के लिए 10,4300 कनेक्शन, एकल बत्ती की 90 हजार दुकानें, 46,000 औद्योगिक और अन्य 6000 कनेक्शन है. 6 हजार में स्ट्रीट लाइट और टीसी कनेक्शन शामिल है. अब इन उपभोक्ताओं को जिस सब स्टेशन और उप सर्विस स्टेशन से बिजली मिलती है उनकी संख्या कुछ इस प्रकार है-
- 220kv के दो सब स्टेशन
- 132kv के 6 सब स्टेशन
- 220kv वाले दो सब स्टेशन
परसवानी गांव में महासमुंद ब्लॉक में 132kv, झलप में 132kv, चुनचुनिया बागबाहरा ब्लॉक में 132kv, साकरा टेमरी में और 132kv का सब स्टेशन बसना दूधी पाली में हैं. जिससे पूरे जिले में बिजली की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो रही है.
महासमुंद जिला पंप यूज वाला एरिया है. जिले में 15 हजार डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर है. महासमुंद के दूरस्थ स्थलों तक शत-प्रतिशत बिजली सप्लाई है. सब स्टेशनों में सुरक्षा की बात करें तो यहां पर मेटलिस्ट, गिट्टी, फायर फाइटिंग सिस्टम, फायर इन एनयूसेंट, रेत की बाल्टी काम करने वालों के लिए दस्ताने, हेलमेट, रेनकोट सभी उपकरणों की पुख्ता की गई है. यहां तीन सिफ्ट में काम होता है. इन सब स्टेशनों में कर्मचारी ठेके के माध्यम से काम कर रहे हैं.