महासमुंद: रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक है. ऐसे में जिले के भलेसर में स्थित श्री वेदमाता गायत्री गौशाला में गोबर से राखियां बनाई जा रही है. इस गौशाला ने गाय के गोबर को सहेजने और उसके सदुपयोग की मंशा को पूरा कर दिखाया है. यहां न सिर्फ गायों की बेहतर देखभाल की जाती है, बल्कि गोबर से कई उत्पाद भी बनाए जाते हैं. साथ ही रक्षाबंधन के मद्देनजर गोबर से राखियां भी बनाई जा रही हैं. अलग-अलग डिजाइन बनाकर रंग-बिरंगे रेशमी धागे से आकर्षक राखियां तैयार की जा रहीं हैं. जिसकी कीमत 10 रुपए से लेकर 60 रुपए तक रखी गई है.
इस बार भाइयों की कलाइयां चाइनीज राखियों की बजाए इन स्वदेशी राखियों से सजेंगी. कोरोना महामारी की वजह से लोग भी चीनी राखियां खरीदने से बच रहे हैं. ऐसे में गोबर से बनी इन राखियों की अच्छी खासी डिमांड हो रही है. इसके लिए गौशाला समिति राखियों की मार्केटिंग भी कर रही है.
छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए मौली धागा,चावल और मोतियों से बनी खास राखियां