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अवैध ईंट भट्ठे में मौतों का मामला: एनजीटी का आदेश, पांचों मजदूरों के परिजनों को दें 20-20 लाख रुपये का मुआवजा - राष्ट्रीय हरित अधिकरण

महासमुंद में बीते 14 और 15 मार्च की दरम्यानी रात अवैध ईंट भट्ठे में दम घुटने से 5 मजदूरों की मौत हो गई थी. मामले पर संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने न केवल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया है, बल्कि मृतकों के परिजनों को दो महीने के भीतर 20-20 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया है.illegal brick kilns

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अवैध ईंट भट्ठे में मौतों का मामला

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Published : Apr 9, 2023, 10:42 PM IST

दिल्ली/महासमुंद: एनजीटी ने महासमुंद मजिस्ट्रेट को अवैध ईंट भट्ठे में दम घुटने से मरने वाले पांच मजदूरों के परिवारों को मुआवजा देने का आदेश दिया है. कुल 20-20 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है. एनजीटी ने जिले की बसना तहसील में 14-15 मार्च की रात को हुई घटना का एक मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया था. इस घटना में एक ईंट भट्ठे में पांच लोगों की मौत हुई थी और एक अन्य घायल हो गया था.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी जारी हुआ था नोटिस:राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला मजिस्ट्रेट को ट्रिब्यूनल ने पिछले महीने नोटिस जारी किया था. मामले में 5 अप्रैल को जवाब दाखिल किया गया. पीठ के अध्यक्ष ने कहा कि "इस ट्रिब्यूनल ने खतरनाक व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़ी मौत और चोटों के कई मामलों को निपटाया है. पीड़ितों को क्षतिपूर्ति के सिद्धांत पर मुआवजे के लिए व्यावसायिक संस्थाओं को सवालों के घेरे में रखा है. प्रत्येक मृत्यु के लिए 20 लाख और चोटों की सीमा के आधार पर अलग-अलग पैमाने से मुआवजा दिया जाए."

सुरक्षा में चूक के लिए करना पड़ता है भुगतान:पीठ ने कहा "यदि ऐसी व्यावसायिक गतिविधि भुगतान करने में विफल रहती है, तो राज्य सरकार को ऐसी संस्थाओं से वसूली की स्वतंत्रता के साथ सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता, के लिए भुगतान करना पड़ता है. नागरिक ऐसी घटनाओं की संभावना वाली व्यावसायिक गतिविधियों के खतरों से सुरक्षा के हकदार हैं."

पीठ ने 6 अप्रैल को पारित किया था आदेश:पीठ ने 6 अप्रैल को पारित अपने आदेश में कहा कि "तथ्य यह है कि मौतें और चोटें ईंट भट्ठा गतिविधियों के कारण हुई हैं. इसके लिए पीड़ितों को मुआवजा दिया जाना चाहिए और राज्य सरकार को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सावधानी बरतनी होगी. मुआवजे का भुगतान करने के अलावा संबंधितों से इसकी वसूली की स्वतंत्रता होगी. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण इस मामले में कानूनी सहायता प्रदान कर सकता है."

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दो महीने के भीतर पीड़ितों को मुआवजा देने का निर्देश:अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट महासमुंद को दो महीने के भीतर पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. साथ ही परियोजना प्रस्तावक से इसकी वसूली की भी छूट दी है. अदालत ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य भी ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित सावधानी बरत सकता है. चोटों की सीमा के बारे में जानकारी के अभाव में मुआवजा प्रत्येक मृतक के वारिसों को 20 लाख और घायलों को दो लाख रुपए दिया जाए."

स्त्रोत- आईएएनएस

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