महासमुंद : छत्तीसगढ़ की राजनीति में महासमुंद जिले का नाम काफी अहम है.क्योंकि इस क्षेत्र से बड़े राजनेता निकले हैं.इस क्षेत्र की खासियत ये है कि यहां रहने वाले वोटर्स को किसी भी दल के लिए अपने पक्ष में करना टेढ़ी खीर है.शिक्षित मतदाता होने की वजह से इस क्षेत्र में मुद्दे हमेशा हावी रहे हैं. महासमुंद जिले में रहने वाले मतदाता विकास को देखते हुए ही वोटिंग करते हैं. ऐसे तो जिले में चार विधानसभाएं बसना,सरायपाली,महासमुंद और खल्लारी हैं. लेकिन आज हम आपको खल्लारी विधानसभा के बारे में बताएंगे.जहां से इस बार बीजेपी ने एक बार फिर महिला उम्मीदवार उतारा है.
बीजेपी ने अलका चंद्राकर को बनाया प्रत्याशी : बीजेपी ने खल्लारी विधानसभा से अलका चंद्राकर को टिकट दिया है.ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीट पर महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा है.साथ ही साथ ओबीसी वोट 50 फीसदी ज्यादा है.इसलिए बीजेपी को लग रहा है कि कहीं ना कहीं इस बार वो अपने फॉर्मूले पर कामयाब होगी. बात करें अलका चंद्राकर की तो वो दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य के तौर पर निर्वाचित हुई हैं.अलका वर्तमान में प्रदेश बीजेपी महिला विंग की उपाध्यक्ष भी हैं.अलका के पति गैस एजेंसी चलाते हैं.इसलिए इलाके में जनाधार भी काफी अच्छा माना जाता है.
कौन है कांग्रेस से उम्मीदवार ?: खल्लारी से कांग्रेस ने एक बार फिर द्वारिकाधीश पर भरोसा जताया है.क्योंकि पिछले चुनाव में द्वारिकाधीश ने बड़े अंतर से बीजेपी की उम्मीदवार को शिकस्त दी थी. 2020 में संसदीय सचिव भी बनाया गया. स्कूल, शिक्षा, आदिमजाति विकास पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास से संबंधित कामों को करवाने की जिम्मेदारी द्वारिकाधीश ने निभाई है.कांग्रेस के शासन काल में खल्लारी में कई विकास कार्य भी हुए हैं.जिसमें व्यवहार न्यायालय, कोमाखान में कॉलेज, स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल, नए बैंक की स्थापना और किसानों के लिए कई सुविधाएं मिली हैं. यदि इस सीट से द्वारिकाधीश को दोबारा टिकट मिलता है तो कांग्रेस को हराने के लिए बीजेपी को कड़ी मेहनत करनी होगी.
खल्लारी विधानसभा सीट का भौगोलिक इतिहास : खल्लारी विधानसभा को आस्था का केंद्र कहा जाए तो गलत ना होगा.क्योंकि इस क्षेत्र में दो प्रमुख देवी मंदिर हैं.यहां की मां चंडीदेवी मंदिर और माता खल्लारी का मंदिर विश्व विख्यात है.कोई भी दिग्गज हो यदि इस क्षेत्र में शुभ कार्य कर रहा है तो दोनों देवियों का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते.इस विधानसभा में ओबीसी और आदिवासी वोटर्स का दबदबा है. लेकिन दूसरे नंबर पर साहू समाज आता है.