महासमुंद:सालों से एक रुपए दिए बिना कुछ लोगों ने जनपद पंचायत की करोड़ों की जमीन पर दो मंजिला दुकानें खड़ी कर दी हैं. इन 14 दुकानों का किराया वसूली तो दूर जनपद प्रशासन अनुबंध भी नहीं करा पाया. वार्ड क्रमांक-15 गोल बाजार में जनपद पंचायत की जमीन पर 15 दुकानें संचालित हो रही हैं. जनपद पंचायत के पास इन दुकानों के लीज अनुबंध के दस्तावेज भी नहीं हैं. जानकारी के मुताबिक करीब 45 सालों से जनपद पंचायत की जमीन का किराया नहीं वसूला गया है.
महासमुंद में जनपद पंचायत की जमीन पर अवैध कब्जा जनपद पंचायत के पास इन व्यापारियों के साथ अनुबंध के कोई भी कागजात नहीं है. करीब 5 से 6 साल पहले अधिकारियों की कोशिश पर जनपद प्रशासन और व्यापारियों के बीच 100 रुपए किराया देने पर सहमति बनी थी. लेकिन ऐसा हो न सका. इस मामले को लेकर 6 जुलाई 2020 को जनपंद पंचायत के अधिकारी-कर्मचारी और व्यापारियों के बीच बैठक हुई थी. इस बैठक में नियम के मुताबिक दुकानों के अनुबंध और किराया निर्धारण पर चर्चा हुई थी, लेकिन कोई फैसला नहीं लिया जा सका.
नगर पालिका की NOC के बिना ही कर दिया गया निर्माण
जनपद पंचायत की दुकानें पूरी तरह जर्जर हो चुकी थीं. वर्ष 2013- 14 में व्यापारियों ने स्वयं की लागत से दुकानों का निर्माण किया और बाद में अनेक व्यापारियों ने दो मंजिला दुकानें बना ली. निर्माण के दौरान जनपद पंचायत नगर पालिका एसडीएम और तहसीलदार को निर्माण कार्य पर रोक और एनओसी न देने के लिए पत्र लिखा गया था. नगर पालिका की एनओसी के बिना ही दुकानें बन गई.
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इस संबंध में जनपद पंचायत भागीरथी चंद्राकर ने बताया कि आज से 10 साल पहले जब वे अध्यक्ष थे तब उन्होंने दुकानों के लिए किराए का निर्धारण किया था. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यह किराया नहीं वसूला गया. उन्होंने कहा कि अब जब वे वापस अध्यक्ष बने हैं तो उन्होंने वापस फाइलें निकालकर व्यापारियों की बैठक ली है. व्यापारियों से बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही उनसे किराया लेने की कार्रवाई करेंगे. जनपद अध्यक्ष ने कहा कि अगर कोई भी व्यापारी निर्देशों का पालन नहीं करेगा, तो उन्हें इस जगह से बेदखल करने की कार्रवाई भी की जाएगी.