महासमुंद: नवरात्र में हम आपको छत्तीसगढ़ के देवी मंदिरों के रूबरू करवा रहे हैं. इन मंदिरों का अपना इतिहास और उससे जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं हैं. इसी कड़ी आज हम आपको महासंमुद लिए चलते हैं. महासमुंद से 24 किलोमीटर दूर ऊंची पहाड़ियों पर मां खल्लारी का दरबार है.
यहां पर श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए दूर-दूर से माता के दर्शन के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है जो दंपति संतान सुख से वंचित है वह संतान प्राप्ति मनोकामना के साथ यहां आते हैं. वे यहां दर्शन कर दीप भी प्रज्जवलित करते हैं. छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से भी यहां लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. करीब 30 से 35 हजार लोग यहां दूसरे राज्यों से आते हैं.
चौथी शताब्दी में हुआ था आगमन
छत्तीसगढ़ में ऐसे कई ऐतिहासिक और प्राचीन स्थान है जिनका वर्णन रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है. ये स्थान प्राचीन काल में खलवाटिका के नाम से जाना जाता था, खल वाटिका है. राजा ब्रम्हदेव की राजधानी थी. बताया जाता है कि राजा ब्रह्मदेव के शासनकाल में चौथी शताब्दी में 1415 में देवपाल नाम के मोची ने माता का मंदिर बनवाया था.