महासमुंद: जिले में शासकीय राशि के बंदरबाट का मामला सामने आया है. जहां दस्तवेजों पर 47 लाख के फर्जी काम दिखाकर राशि निकाल ली गई है, लेकिन निकाली गई राशि से शासकीय जमीन पर एक भी काम नहीं हुआ है.
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से की, जिस पर जांच भी हुई है, लेकिन जांच में प्रमाणित होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है. न्याय के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीणों के लिए मीडिया ने पहल की थी, जिसके बाद जिला पंचायत के सीईओ ने अब जाकर कार्रवाई की बात कहीं है.
10 साल में एक ही परिवार को लोग बने सरपंच
महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखंड के टेका ग्राम पंचायत की आबादी 3 हजार है. इस आदिवासी और पिछड़ा वर्ग बहुल्य ग्राम पंचायत के आश्रित गांव डोगरीपाली , कैलाशपुर और सेवैया कला था. साल 2015 - 16 में पंचायत परिसीमन में डोगरीपाली को अलग पंचायत और टेका को अलग पंचायत बना दिया गया. साल 2010 - 11 से 2019 तक एक ही परिवार के दुलीकेशन साहू और उनकी पत्नि किरण दुलीकेशन साहू सरपंच रहे.
10 सालों में इन कामों के लिए निकाले गए पैसे
इन दस सालों में सरपंच ने 13 वें वित्त, 14 वें वित्त आयोग से मूलभूत और मनरेगा के लिए आए फंड से 47 लाख रूपए निकाल लिए. जिसमें कामों के नाम पर पहुंच मार्ग निर्माण, पुलिया निर्माण, शौचालय निर्माण, नाली निर्माण, पानी टंकी निर्माण, चबूतरा निर्माण, समतली करण, 4 पहुंच मार्ग और 7 पुलिया निर्माण की बात कहीं गई थी, लेकिन जांच के बाद पता चला कि इनमें से एक भी काम ग्राम पंचायत में नहीं कराया गया है. यह काम सिर्फ दस्तवेजों तक ही सीमित है.