महासमुंद:गोधन न्याय योजना को लेकर लगातार राज्य सरकार सुर्खियों में है. ऐसा भी माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना को अन्य प्रदेश भी लागू करने वाले हैं. इस योजना की जमीनी हकीकत को देखने के लिए ETV भारत की टीम ने कई गौठानों का दौरा किया.
गोधन न्याय योजना से मिला स्थायी रोजगार महासमुंद जिले में कुल 551 ग्राम पंचायतों में 1125 गांव है. जहां 329 गोठानों में 3500 ग्रामीण महिलाएं स्व सहायता समूह के जरिए जुड़ी है. महिलाओं ने पहले यहां जैविक खाद बनाना सीखा और अब गोबर से जैविक खाद बना रही हैं. जैविक खाद से महिलाएं अच्छी-खासी कमाई कर रही है. गोठानों में महिलाओं के साथ ही किसान और पशुपालक यहां गोबर ला कर बेच रहे हैं. इसके साथ ही बेरोजगार लोग भी गोबर इकट्ठा कर गौठानों में गोबर बेच रहे हैं.
बेरोजगारों के लिए बना आय का साधन
गौठानों में गोबर बेचने वाले लोगों से चर्चा की तो उन्होंने गोधन न्याय योजना की काफी तारीफ की. उनका कहना है कि पहले सिर्फ गोबर रखा रहता था. उससे किसी तरह की कोई आय नहीं होती थी. लेकिन अब गोबर से रुपये मिलते हैं.
आय भी सफाई भी
कुछ का मानना है कि जो गोबर जगह-जगह इकट्ठा होकर गंदगी फैलाता था. अब वह गोबर बिक रहा है. इसलिए लोग उसे तुरंत उठा ले रहे हैं. जिससे रोड रास्तों की सफाई भी हो रही है. बेरोजगार आदमी को चार पैसे भी मिल रहे हैं.
गोधन न्याय योजना की प्रियंका गांधी ने की तारीफ
महिलाओं को दोहारा फायदा
गोधन न्याय योजना के जरिए गौठानों के माध्यम से गोबर खरीदी कर स्व सहायता समूह की महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है. उससे आय के साथ वे गौठानों में सब्जी की भी खेती कर रही है. एक तरफ गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाकर बेच रही है तो वहीं दूसरी ओर सब्जी-भाजी की खेती कर उन्हें बेचकर भी पैसे कमा रही है. जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए वर्मी कंपोस्ट गौठानों में तैयार किया जा रहा है. जिसका उपयोग किसान अपने खेतों में रहे हैं.
कई क्विंटल जैविक खाद तैयार किया जैविक खाद बेचकर लाखों की हो रही कमाई
गौठानों की ये महिलाएं अब तक 7 हजार 500 क्विंटल जैविक खाद बना चुकी है. जिसमें से 6 हजार 500 क्विंटल जैविक खाद बेच भी चुकी है. ग्राम पंचायत बमनी का गौठान मॉडल गौठान के रूप में पहचाना जाने लगा है. इस गौठान में दो महिला स्व सहायता समूह जय मां सरस्वती महिला स्व सहायता समूह और माता अमरावती महिला स्व सहायता समूह की 24 महिलाएं गोबर से जैविक खाद बनाने का काम करती है. महिलाएं 10 रुपये प्रति किलो के हिसाब से जैविक खाद सोसाइटी को बेचती है. इस समूह की महिलाएं लगभग ढाई से तीन लाख का मुनाफा कमा चुकी है. माता अमरावती स्व सहायता समूह की महिलाएं 100 क्विंटल जैविक खाद बना चुकी है.
खाद का रेट बढ़ाने की मांग
गौठानों और समूह के जरिए कमाई कर रही महिलाएं रोजगार मिलने से खुश है हालांकि उनका कहना है कि शासन वर्मी कंपोस्ट का रेट बढ़ा दे तो उनके लिए और ज्यादा अच्छा होगा. महिलाओं ने बताया कि खाद भरने के लिए वे जो बोरी खरीदती है उसकी कीमत 11 रुपये पड़ती है. जिससे उन्हें वैसा लाभ नहीं मिल पा रहा है जैसा मिलना चाहिए.
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गोधन न्याय योजना से आई खुशहाली
जिला पंचायत CEO का कहना है कि राज्य सरकार की नरवा ,गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना काफी महत्वपूर्ण है. इससे ग्रामीणों इलाकों में काफी फायदा मिल रहा है. महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. वहीं किसानों को खेती के लिए जैविक खाद भी मिल रहा है. कुल मिलाकर गोधन न्याय योजना जिले में काफी लाभकारी साबित हो रही है. इस योजना से यहां के लोग काफी खुश है.