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जिम्मेदारों को नहीं है इनकी चिंता, जान हथेली पर लेकर घर से निलकते हैं ये मासूम

बरसात में यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों की छत से पानी टपकता रहता है. इसके अलावा बाकी के दिनों में छत से प्लास्टर गिरता रहता है, लेकिन किसी ने इसकी सुध तक नहीं ली. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताती हैं कि, वे बीते दो साल में कई बार जिम्मेदारों को लिखित शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन किसी ने इसपर ध्यान नहीं दिया.

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Published : Apr 29, 2019, 8:30 AM IST

Updated : Apr 29, 2019, 11:49 AM IST

आंगनबाड़ी भवन में पढ़ते बच्चे

महासमुंद: जिले में 1695 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है. जिसमें करीब एक लाख बच्चे प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण रहे हैं. इन बच्चों की जान खतरे में है, लेकिन सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है. आंगनबाड़ी भवनों के हालात ऐसे हैं कि, कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में हैं.

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बरसात में यहां के आंगनबाड़ी केंद्रों की छत से पानी टपकते रहता है. इसके अलावा बाकी के दिनों में छत से प्लास्टर गिरते रहता है, लेकिन किसी ने इसकी सुध तक नहीं ली. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बताती हैं कि, वे बीते दो साल में कई बार जिम्मेदारों को लिखित शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन किसी ने इसपर ध्यान नहीं दिया.

शहर के सुभाष नगर के दो आंगनबाड़ी केंद्र, गुरूघासीदास वार्ड का एक आंगनबाड़ी केंद्र काफी जर्जर हो चुका है. हालात ये है कि, यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की शिकायत के बाद भी किसी ने यहां आने की जहमत नहीं उठाई.

इधर, इस पूरे मामले में महिला एवं बाल विकास के आला अधिकारी अपना अलग ही राग अलाप रहे हैं. अधिकारी नये भवन बनाने के बजाय ऐसे भवनों में आंगनबाड़ी न लगाने और कोई वैकल्पिक भवन तलाशने की बात कह रहे हैं. महिला एवं बाल विकास के अधिकारी का कहना है कि, बीते पांच साल से विभाग में भवन निर्माण या मरम्मत के लिए राशि नहीं मिली है. ऐसे में जर्जर भवनों की मरम्मत मुश्किल है.

Last Updated : Apr 29, 2019, 11:49 AM IST

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