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कोरोना में माता पिता को खो चुके बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाएगी छत्तीसगढ़ सरकार

कोरोना काल में अपने माता पिता को खोने वाले बच्चों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार (chhattisgarh government) ने महतारी दुलार योजना (mahtari dular yojana) की शुरुआत की है. इस योजना के तहत ऐसे बच्चों जिन्होंने कोरोना माहामारी में अपने माता पिता को खो दिया हो, सरकार उनकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा उठाएगी.

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बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएगी भूपेश सरकार

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Published : Jun 8, 2021, 10:42 PM IST

महासमुंद: छत्तीसगढ़ सरकार ने कोरोना महामारी (corona pendamic) की वजह से अनाथ हो चुके बच्चों के शिक्षा का जिम्मा उठाने का ऐलान किया था. इसी के तहत सरकार ने महतारी दुलार योजना (mahtari dular yojana) की शुरुआत की. सरकार की ये योजना अनाथ हो चुके बच्चों के लिए वरदान से कम नहीं है. इस योजना से महासमुंद जिले के 55 परिवार के 100 बच्चों को फायदा मिलेगा. योजना से चिन्हांकित बच्चों के पालक राज्य सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं. कलेक्टर ने इस योजना के संदर्भ में कहा कि बेसहारा बच्चों को फ्री में शिक्षा (free education) और स्कॉलरशिप देना ही इस योजना का मुख्य उद्देश्य है.

बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएगी भूपेश सरकार

महासमुंद जिले में 29 मई 2020 को करोना का पहला केस मिला था. तब से लेकर आज तक जिले में 30 हजार 817 लोग कोरोना के शिकार हुए. जिनमें से 29 हजार 566 मरीजों ने कोरोना को मात दे दी. लेकिन 349 लोग इस जंग से हार गए. इससे जिले के कई बच्चे अनाथ हो गए. अनाथ हो जाने वाले इन बच्चों के सामने पढ़ाई और जीवकोपार्जन की समस्या आ गई. ऐसे में राज्य सरकार की छत्तीसगढ़ महतारी दुलारी योजना अनाथ हो चुके बच्चों के लिए वरदान बनकर आई.

पालकों को मिली राहत

इन्हीं अनाथ हो चुके बच्चों में से एक परिवार है स्व. गुलाब साहू का. जो पेंटर का काम करते थे. वे अपने तीनों बच्चों और पत्नी का भरण-पोषण करते थे. 5 सितंबर 2020 को वे कोरोना पॉजिटिव आए. इसके बाद उनकी मौत हो गई. मौत के बाद उनके तीन बच्चे और पत्नी के सामने भरण-पोषण की समस्या आ गई. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कहां सुचारु रुप से चलती. उसके बावजूद गुलाब की पत्नी ने हिम्मत नहीं छोड़ी. मजदूरी करके बच्चों का भरण पोषण किया. इनके बच्चों का भी चयन छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना के तहत हुआ है. इसके बाद अब इन्हें कुछ राहत मिली है.

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परिवार में जगी आस

इसी तरह त्रिमूर्ति कॉलोनी में रहने वाले मूलचंद सोनी मिठाई की दुकान संचालित कर अपना परिवार चलाते थे. कोरोना कि दूसरी लहर में ये भी उसकी गिरफ्त में आ गए और उनकी मौत हो गई. मौत के बाद उनकी पत्नी को दो नन्हीं बच्ची के भरण पोषण और उनके शिक्षा की चिंता सताने लगी. इनकी बच्ची का चयन भी इस योजना के तहत हुआ है. अब ऐसे परिवार के लोगों को आस जगी है कि उनके बच्चों की शिक्षा में कोई अड़चन नहीं आएगी.

100 बच्चों को मिलेगा योजना का फायदा

महतारी दुलार योजना के लिए शिक्षा विभाग (education Department) को नोडल विभाग बनाया गया है. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग (Health Department) और समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) उनकी मदद करेगा. सर्वे में महासमुंद जिले में 349 लोगों में से 55 परिवार ऐसे मिले जिनके परिवार से कमाने वाले माता या पिता, या दोनों की मृत्यु करोना से हो गई है. ऐसे 100 बच्चों को इस योजना के तहत मुफ्त शिक्षा (free education) 1 से 8वीं तक के बच्चे को हर महीने 500 रुपये और 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को 1 हजार रुपये हर महीने स्कॉलरशिप मिलेगी. स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल (swami atmanand english medium school) में प्रवेश में प्राथमिकता भी मिलेगी.

बच्चों को दिया जाएगा प्रशिक्षण

शिक्षा विभाग के सहायक संचालक का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग लिस्ट तैयार कर रहा है. सर्वे कर अनाथ बच्चों की लिस्ट भी तैयार की जा रही है. इससे बच्चों को पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आ पाएगी. साथ ही आने वाले समय में संख्या में बढ़ोतरी भी हो सकती है. किसी घर में एक या एक से ज्यादा बच्चे भी हैं तो सभी की पढ़ाई और स्कॉलरशिप मुहैया कराई जाएगी. इस योजना के तहत प्रतिभावान छात्रों को व्यवसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए प्रशिक्षण, कोचिंग की सुविधा (coaching facilities) भी उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही स्कूल शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहन भी दिया जाएगा.

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