महासमुंद:छत्तीसगढ़ में कई देवी मंदिर हैं और हर मंदिर की अपनी अलग पहचान है. मान्यताएं हैं, किविदंतियां और पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन हम बताने वाले हैं वहां के बारे में जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे. एक ऐसा मंदिर जहां मातारानी से अर्जी लगाने भालुओं का पूरा परिवार पहुंचता है.
घुचापाली जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जंगली भालू की मातारानी के प्रति आस्था देखते ही बनती है. जिले के बागबाहरा तहसील मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर घुचापाली जंगल के बीचो-बीच चंडी देवी का भव्य मंदिर है.
8 साल से भालुओं का परिवार आता है मंदिर में
इस देवी मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ भालुओं का भी पूरा परिवार दर्शन के लिए पहुंचता है. चंडी देवी मंदिर में हर दिन सैकड़ों भक्त अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. माता के दरबार में पहुंचने वाले भालुओं को जब मंदिर में श्रद्धालु देखते हैं तो सब की सांसें थम जाती हैं.
इस मंदिर में प्राकृतिक रूप से बनी पत्थर की 23 फीट ऊंची मां चंडी देवी की अद्भुत मूर्ति है. दक्षिण मुखी यह स्वयंभू मूर्ति दुर्लभ और तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है. प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगने वाले इस मंदिर में लगभग 8 साल से भालुओं का एक परिवार रोजाना माता के दरबार में आरती के समय पहुंचता है. कभी इनकी संख्या 5 तो कभी 3 होती है, लेकिन वर्तमान में 4 हैं.
भालूओं को प्रसाद खिलाते श्रद्धालु भालू करते हैं मंदिर परिक्रमा
अधिकतर शाम 5 से 8 बजे के बीच भालू मंदिर पहुंचते हैं. सीढ़ियों से चढ़कर मां चंडी देवी की मूर्ति के पास पहुंचते हैं. वहां मूर्ति की परिक्रमा करते हैं. प्रसाद खाते हैं और वहां रखे नारियल को भी फोड़कर खा जाते हैं. फिर वापस पहाड़ों में लगे जंगल की तरफ गुफाओं में चले जाते हैं.
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पहले इन भालूओं को देख श्रद्धालु दूर भाग जाते थे पर अब 7 साल से यही दृश्य देखकर श्रद्धालु अपने हाथ से भालुओं को प्रसाद और नारियल खिलाते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु कहते हैं कि मां चंडी के दरबार में आने से हर मनोकामना पूरी होती है.