महासमुंद: कोरोना काल ने सभी त्योहारों के रंग फीके कर दिए. 22 अगस्त को गणेश उत्सव मनाया जाएगा. इस बार महामारी को देखते हुए शासन-प्रशासन ने गणेश पंडालों में बड़ी मूर्तियों की स्थापना पर पाबंदी लगा दी है. जिसकी वजह से मूर्तिकारों में निराशा छाई हुई है. कुम्हारों को इस बार काफी नुकसान हुआ है.
गणेश उत्सव पर मंडराया कोरोना संकट मूर्तिकारों का कहना है कि पहले के मुताबिक इस बार गणेश उत्सव को लेकर कोई माहौल नहीं है. रौनक कम है. मूर्तिकारों की सभी मूर्तियां इस बार बिक जाए वही बहुत बड़ी बात होगी. स्थानीय कहते हैं कि बीते 10 दिनों से लगातार हो रही बारिश ने पहले ही सब खराब कर रखा है. इस बार मूर्तियों की लागत राशि ही मूर्तिकारों को मिलनी मुश्किल नजर आ रही है.
मूर्तिकारों में निराशा
जानकारी के मुताबिक बीते वर्ष में गणेश उत्सव के 10 दिन पहले ही 25 फीसदी कारोबार हो जाता था, लेकिन इस बार अब तक 5 फीसदी मूर्ति भी नहीं बिक पाई हैं. कोरोना की वजह से लोगों में खौफ है. पहले गांव के लोग आकर हाथों हाथ मूर्तियां लेकर जाते थे. इस बार कुम्हारों ने शहर में 32 दुकानें लगाई हैं. कई दुकानों में अब तक मूर्तियां नहीं पहुंची हैं. कुछ कुम्हारों ने अपनी मूर्तियां औने-पौने रेट में शहर के बड़े व्यापारियों को बेच दी. कुम्हारों को उम्मीद है कि जो मूर्तियां उनके पास हैं वो बिक जाएंगी और उन्हें मूलधन भी मिल जाएगा.
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महामारी से बचने के लिए लोगों को भीड़ इकट्ठा करने से रोका जा रहा है. लिहाजा प्रशासन ने गणेश मूर्ति स्थापना और पूजा को लेकर गाइडलाइन जारी किया है. इस गाइडलाइन के मुताबिक इस साल बड़ी मूर्तियों की स्थापना पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके साथ ही बड़े पंडाल लगाने पर भी रोक लगा दिया गया है. इसका सीधा असर उन मूर्तिकारों की आजीविका पर पड़ा है जो मूर्ति बनाकर अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं.