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कोरिया: बैगा जनजाति की महिलाओं से बकरी पालन के नाम पर भद्दा मजाक

भरतपुर के उचेहरा ग्राम पंचायत में बैगा जनजाति की महिलाओं से धोखा हुआ है. प्रशासन ने महिलाओं से बकरी पालन के लिए 30 बकरी देने का वादा किया था. अब 3 साल बीत गए हैं. महिलाओं को आज तक बकरियां नहीं मिली. महिलाएं प्रशासन को कोस रही हैं.

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बैगा जनजाति की महिलाओं से बकरी पालन के नाम पर भद्दा मजाक

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Published : Mar 7, 2021, 5:04 PM IST

कोरिया:छत्तीसगढ़ राज्य बकरी उद्यमिता विकास योजना के तहत भरतपुर में बकरी पालन के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया. बकरी पालन के लिए शेड निर्माण कराया गया. अब 3 साल से बकरी यूनिट में ताला लटका हुआ है. बकरी यूनिट की सीट उखड़ने लगी हैं. बकरी यूनिट में बोर करा दिया गया है. अबतक समर्सिबल पंप नहीं डाला गया. हैरत की बात ये है कि बिना समर्सिबल पंप के नल फिटिंग करा दी गई है. अब नल शो-पीस बनकर रह गया है.

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उचेहरा ग्राम पंचायत में बैगा जनजाति के नाम से 19.216 लाख रुपये खर्च कर बकरी यूनिट का निर्माण कराया गया, लेकिन प्रशासन ने उन्नत नस्ल की 50 बकरी देना ही भूल गया. आवंटित बजट से आनन-फानन में शेड निर्माण कराया गया. महिला सहायता समूह को बकायदा प्रशिक्षण दिया गया. फिलहाल बकरी प्रोजेक्ट में पिछले 3 साल से ताला लटका है. शेड को लावारिस हालत में छोड़ दिया गया है.

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शेड, गोदाम सहित अन्य भवन निर्माण

2017-18 में उचेहरा ग्राम पंचायत में बकरी पालन के लिए 19.216 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी. डीएमएफ से 11 जुलाई 2017 को राशि आवंटित की गई. बैकुंठपुर कृषि विभाग ने निर्माण एजेंसी से शेड, गोदाम सहित अन्य भवन निर्माण कराया. शेड में राजस्थान से उन्नत नस्ल की बकरियां खरीद कर पालने की प्लानिंग थी. शेड के लिए 40 बकरियां और 10 बकरा पालने की सहमति बनी थी. अब 3 साल से शेड में ताला लटक रहा है.

महिलाओं को रोजगार मिलने की आस

बैगा जनजाति की महिलाओं ने कहा स्व-सहायता समूह को बकरिया नहीं मिली है. महिला समूह में 11 सदस्य हैं. प्रशासनिक उदासीनता के कारण रोहिणी महिला समूह के सदस्यों को अजीविका के लिए मजदूरी करना पड़ रहा है. बैगा जनजाति की महिलाओं के साथ धोखा किया गया है. महिलाओं को रोजगार मिलने की आस थी, लेकिन मजदूरी करने पड़ रहा है.

उद्यमिता विकास योजना में लापरवाही

छत्तीसगढ़ राज्य बकरी उद्यमिता विकास योजना के तहत 30 बकरी दो बकरे देने का प्रावधान है. एक प्रोजेक्ट की लागत का एक लाख है. कोरिया में मनमानी रवैया के कारण राज्य सरकार की योजनाएं फेल हो रही है. स्व-सहायता समूह की महिलाएं प्रशासन को कोस रही हैं.

हमारा का सिर्फ प्रशिक्षण देना

पशु चिकित्सालय के डॉक्टर महेंद्र बहादुर बघेल ने कहा हमारा काम सिर्फ महिला समूह को बकरी पालन के लिए प्रतिक्षित करना था. हमने अगस्त सितंबर 2017 में प्रशिक्षण दिया. बकरी शेड निर्माण, बकरी खरीदी सहित अन्य कार्य हमारा नहीं है.

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