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कोरिया: झोलाछाप डॉक्टर मरीजों के स्वास्थ्य से कर रहे खिलवाड़, मौन है प्रशासन

कोरिया के रामगढ़ में इन दिनों झमाझम बारिश हो रही है. जिसकी वजह से अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है. जिसका फायदा रजिस्टर्ड डॉक्टर कम झोलाछाप ज्यादा उठा रहे हैं. कस्बे में ग्रामीणों को इलाज के नाम पर लूटा जा रहा है. जिससे मरीजों की तबीयत सुधरने के बजाय और बिगड़ती जा रही है.

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झोलाछाप डॉक्टर मरीजों के स्वास्थ्य से कर रहे खिलवाड़

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Published : Sep 2, 2020, 10:52 PM IST

कोरिया: जनकपुर विकासखंड के अंतर्गत रामगढ़ में झोलाछाप डॉक्टर धड़ल्ले से अस्पताल चला रहे हैं और भोली-भली जनता को लूटने में लगे हुए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की जिन्दगी के साथ झोलाछाप डॉक्टर खिलवाड़ कर रहे हैं. वहीं क्षेत्र में नकली दवाओं का कारोबार भी तेजी से फल-फूल रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे अवैध क्लीनिक संचालित हो रहे हैं, जिनके माध्यम से झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों का इलाज बे रोक-टोक कर रहे हैं.

झोलाछाप डॉक्टर मरीजों के स्वास्थ्य से कर रहे खिलवाड़

बगैर लाइसेंस के चलाए जा रहे क्लीनिक

जिले के जनकपुर विकासखंड के रामगढ़ गांव में कई ऐसे क्लीनिक और दवाई दुकानें संचालित हैं, जहां बिना जांच पड़ताल और लक्षण के आधार पर मरीजों को दवाई दी जाती है. आरोप है कि इन क्लीनिकों और मेडिकल स्टोरों में नकली दवाईयां बेची जाती हैं. यही वजह है कि यहां आने वाले मरीज ठीक होने की बजाय और बीमार पड़ रहे हैं. मरीजों की तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद जब उनके परिजन बड़े अस्पतालों में उन्हें लेकर पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि मरीजों को गलत दवाइयां दी जा रही थी. इतना ही नहीं डॉक्टर बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं.

बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण

झोलाछाप डॉक्टरों की ओर से बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण और विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है. दुकानों के अंदर कार्टूनों में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण करके रखा जाता है.

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इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है. झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं. बरसात के कारण इन दिनों मलेरिया, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं. ऐसे में मरीजों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं. एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 100 से 200 रुपए तक होती है. वहीं केस बिगड़ने पर अस्पताल रेफर कर देते हैं. इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है. कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड और यूरिन टेस्ट जैसी व्यवस्था भी कर रखी है.

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गांव के उप स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ का कहना है कि इसकी शिकायत कई बार उन्होंने उच्च अधिकारियों से की है. लेकिन अभी तक झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है.

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