मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: एक आदिवासी अपनी पुरखो की जमीन के लिए 38 साल से न्याय की गुहार लगा रहा है. फैसला गैर आदिवासी के पक्ष में चला जाता है. पीड़ित आदिवासी अपील करता है तो अपील खारिज कर दी जाती है. इतना ही नहीं अब हद पार हो गई. जब पीड़ित को अधिकारी और गैर आदिवासी मिलकर उसके घर को तोड़कर उसे बेदखल करना चाहते है. झूठे मुकदमे के नोटिस भेजे जा रहे हैं जिससे पीड़ित परेशान हो गया है और कलेक्टर से शिकायत कर न्याय की मांग कर रहा है.
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पुश्तैनी जमीन किसकी: रघुनाथ जिला एमसीबी का रहने वाला है. जिसकी पुश्तैनी जमीन पर दो गैर आदिवासियों ने पिता से खरीदी बताकर अपने नाम करवा ली है. जिसके लिए 38 साल से न्यायालय के चक्कर लगा रहा है. न्याय की मांग कर रहा है जमीन की कीमत करोड़ों में होने की वजह से इसमें अधिकारी और गैर आदिवासी मिलकर पीड़ित के जमीन को हड़पने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
आदिवासी पुश्तैनी जमीन के लिए 38 साल से लगा रहा न्याय की गुहार जमीन से आदिवासी को बेदखल करने प्रयास: पीड़ित 38 वर्षों में एसडीएम, कलेक्टर और मुख्यमंत्री सभी को आवेदन दिए गए. राजस्व न्यायालय में आवेदन किया. जिसका फैसला गैर आदिवासी के पक्ष में चला गया. पीड़ित ने अपील को खारिज कर दिया गया. पीड़ित को परेशान करने के लिए उसके आशियाने को भी अधिकारी और गैर आदिवासी तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. उसे बेदखल करने का प्रयास कर रहे हैं. लगातार नोटिस जारी कर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है. अब वह जिंदगी की बजाय मौत के लिए कलेक्टर से गुहार लगा रहा है.