कोरिया: नेक सोच और उस सोच को आकार देने के लिए किए गए प्रयास से क्या बदलाव हो सकता है, इसकी बानगी कोरिया के मनेंद्रगढ़ ब्लॉक के शंकरगढ़ गांव में मौजूद प्राथमिक स्कूल में देखने को मिल रही है. फर्राटेदार अंग्रेजी में आपस में बात कर रही ये छात्राएं इसी स्कूल में पढ़ाई करती हैं.
सरकारी स्कूल में बच्चे बोलते हैं फर्राटेदार अंग्रेजी इस स्कूल में कुल 70 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. इन्हें पढ़ाने वाली शिक्षिका मीना जायसवाल ने एक रोज प्रयोग के तौर पर इन्हें अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया और धीरे-धीरे छात्र-छात्राओं ने इसे अपने दिनचर्या में शामिल कर लिया. वहीं इस स्कूल में 5वीं तक की कक्षाएं लगती हैं.
सरकारी स्कूल में 5वीं क्लास के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने लगे हैं 'अंग्रजी से पहले हो हिंदी का ज्ञान'
बच्चों की इंग्लिश सुनकर उनके माता-पिता के साथ-साथ आसपास रहने वाले लोग भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं और कहते हैं कि काश हमारे बच्चे भी ऐसे इंग्लिश बोल पाते. वहीं इस संबंध में जब ETV भारत ने प्राथमिक शाला शंकरगढ़ की टीचर मीना से बात की तो उन्होंने बताया कि सबसे पहले वह हिंदी को प्राथमिकता देती हैं, क्योंकि कोई भी सब्जेक्ट सीखने के लिए हिंदी का ज्ञान होना बहुत जरूरी है.
आम बातचीत में भी बच्चे इस्तेमाल करते हैं इंग्लिश आम बातचीत में भी बच्चे इस्तेमाल करते हैं इंग्लिश
टीचर ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले बच्चों को छोटे-छोटे वर्ब याद कराए. फिर छोटे-छोटे सेंटेंस याद कराए. बच्चे जब इसमें रुचि दिखाने लगे तब उन्होंने इंग्लिश में पढ़ाई कराना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे बच्चे फर्राटेदार इंग्लिश बोलने लगे. देखते-देखते शब्द बच्चों की जुबान पर ऐसे बस गए कि अब स्कूल के ये बच्चे आम बातचीत के दौरान अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल करने लगे हैं.
अक्सर सरकारी स्कूल की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल उठाए जाते हैं, लेकिन शंकरगढ़ गांव के इस सरकारी स्कूल के ये दृश्य बाकि स्कूलों के लिए मिसाल है. अगर हर टीचर मीना जैसी सोच रखे तो वाकई सरकारी स्कूल का कोई भी बच्चा अंग्रजी से अनछुआ नहीं रहेगा.