कोरिया:आयुर्वेद में जहां आंवला को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं हिंदू धर्म में आंवला को पूजनीय भी माना जाता है. यही कारण है कि आंवला को पूजने के लिए एक खास तिथि, कार्तिक मास की नवमी को आंवला नवमीं के रूप में मनाये जाने की परंपरा चली आ रही है. सोमवार को आंवला नवमीं मनाई जा रही है, इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है.
जनकपुर में पिछले कुछ सालों से तेजी से विकास के काम हुए है. सड़क के लिए कई रास्तों के किनारे से पेड़ों को काट दिया गया, इसमें आंवला के पेड़ भी शामिल थे. अब जगलों में ही आंवले के पेड़ नजर आते हैं. कॉलोनी में महिलाओं को अब पूजा करने के लिए आंवला पेड़ ढूंढने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है.
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इस साल कोरोना महामारी को देखते हुए घर पर ही आंवला पूजा करन के निर्देश दिए गए हैं. मान्यता है कि आंवला पेड़ में भगवान विष्णु और शंकर का वास होता है. दोनों देवों की एक साथ पूजा-अर्चना करने से पापों का नाश होता है और पुण्य बढ़ता है. इसी मान्यता के चलते परिवार समेत महिलाएं आंवला पेड़ के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना करती है. पेड़ के नीचे बैठकर भोजन भी ग्रहण किया जाता है.