कोरिया: छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाने का दावा कर रही है. कोरोना संकट के वक्त केंद्र सरकार 'वन नेशन-वन राशन कार्ड' की योजना लेकर आई है. प्रदेश के खाद्य मंत्री अमरजीत भगत दावा करते हैं कि राज्य में कोई भूखे पेट नहीं सोएगा लेकिन शिवभजन की जिंदगी इन तमाम वादों और दावों पर करारा तमाचा है. कोरिया जिले क् मनेंद्रगढ़ के रहने वाले शिवभजन को सरकार 10 साल में एक राशन कार्ड मुहैया नहीं करा पाई है, सरकारी योजनाएं तो दूर की बात हैं. नतीजा ये है कि परिवार के साथ 75 साल का ये बुजुर्ग कंदमूल खा कर गुजर-बसर कर रहा है.
शिवभजन के पास घर तो है, लेकिन वो कब गिर जाए पता नहीं. उनके पास न तो राशन कार्ड है और न ही घर में खाने के लिए राशन. लंबे समय से शिवभजन का परिवार कंदमूल और रिश्तोदारों-पड़ोसियों से मिले खाने के सहारे जिंदगी काट रहा है. शिवभजन की एक बेटी है, जो चल-फिर नहीं सकती है. वे बताते हैं, 10 साल पहले उनके पास राशन कार्ड था, जिसे नया राशन कार्ड बनाने के नाम पर जमा करा लिया गया है, लेकिन 10 साल बाद भी उनका नया राशन कार्ड नहीं बना. जिससे उनके सामने अपना और अपने बच्चों का पेट पालने की परेशानी खड़ी हो गई है.
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10 साल से नहीं मिला राशन कार्ड
शिवभजन बताते हैं कि 10 साल पहले जमा राशन कार्ड नहीं मिला है. घर में कोई कमाने वाला नहीं है. ऐसे में जंगलों से मिले कंदमूल खाकर वो और उनका परिवार जिंदा है. शिवजभन के घर के पास थोड़ी जमीन है, जिसपर कभी कुछ उगा लेते हैं, जिससे साल में महीने, दो महीने के लिए परिवार को राशन मिल जाता है. शिवभजन की माली हालत इतनी खराब है कि मिट्टी के घर के ऊपर वे छप्पर भी डालने की स्थिति में नहीं हैं. ऐसे में उनका घर कब गिर जाएगा पता नहीं. आर्थिक कमजोरी के साथ शिवभजन अब शारीरिक रूप से भी कमजोर होते जा रहे हैं, ढलती उम्र में शिवभजन की आंखों ने भी अब साथ देना लगभग छोड़ दिया है.