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MCB Latest News: शिक्षक की कमी के बीच जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर बैमा गांव के बच्चे

शिक्षा पर सबसे ज्यादा खर्च करने की बात भले ही सरकार कर रही है, लेकिन अंदरूनी गांवों के कई स्कूल टीचर्स की कमी से जूझ रहे हैं. कुछ के पास अपना पक्का भवन तक नहीं है, जिसके पास है भी उनकी हालत खस्ता हो चुकी है. ऐसा ही एक स्कूल बैमा गांव में भी है, जहां न केवल शिक्षक कम हैं, बल्कि इमारत भी खस्ताहाल हो चुकी है. MCB Latest News

study in dilapidated school
जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर बैमा गांव के बच्चे

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Published : Mar 13, 2023, 6:07 PM IST

जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर बैमा गांव के बच्चे

एमसीबी: खड़गवां विकासखंड के बैमा ग्राम पंचायत का माध्यमिक स्कूल भवन खस्ताहाल है. छत से प्लास्टर उखड़कर गिरते रहने से सरिया दिखने लगी है. इससे जहां हादसे का डर बना रहता है, वहीं बारिश के दिनों में छत भी टपकती रहती है. इसकी मरम्मत या स्कूल भवन दोबारा बनवाने के लिए न तो विभाग ध्यान दे रहा है और न ही संबंधित अधिकारी पर शिकायत क असर हो रहा है. बच्चे जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने को मजबूर हैं.

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प्रधानपाठक और शिक्षक के भरोसे 114 छात्र:माध्यमिक स्कूल बैमा में 114 छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं. एक शिक्षक और प्रधान पाठक के भरोसे पढ़ाई का सारा दारोमदार है. बच्चों के पढ़ाने के साथ ही दोनों पर कार्यालय के सारे काम का जिम्मा भी है. कई बार शिक्षकों की मांग और जर्जर स्कूल के संबंध में शासन प्रशासन को बताया गया, लेकिन आज तक न तो टीचर मिले और न ही जर्जर भवन की मरम्मत कराई गई. एक तरह से बच्चों के भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है, जिससे आभास होता है कि बच्चों के भविष्य को लेकर शासन प्रशासन बिल्कुल भी गंभीर नहीं है.

मार्च में रिटायर हो जाएंगे प्रधानपाठक:शिक्षक पन्नूलाल साहू ने बताया कि "यहां पर उनके अलावा एक प्रधानपाठक हैं, जो कि सीएसी का भी काम देखते हैं. उनको लगातार स्कूलों के जांच करने जाना पड़ता है. अब वे भी मार्च में रिटायर हो जाएंगे, जिससे थोड़ी परेशानी और होगी. सारे बच्चों की पढ़ाई करना उनके ही जिम्मे है. सरपंच के माध्यम से कई बार शिक्षकों की मांग की गई है. अगर शिक्षक आ जाते हैं तो बच्चों की शिक्षा स्तर और बेहतर हो सकता है."

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