एमसीबी:मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जो कि वनांचल क्षेत्र से घिरा हुआ है. यही बात एमसीबी के पहाड़ी क्षेत्र को मनोहर बनाती है. होली के चंद दिन पहले पलाश के वृक्ष गुलाबी रंग के फूलों से खिले हुए हैं. प्रकृति यह संदेश देती है कि होली के पहले प्रकृति किस प्रकार से होली के लिए स्वयं को तैयार किया है. जिसका नजारा अद्भुत और बेमिसाल है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्राकृतिक सुंदरता होली के पहले पलाश के फूल देखकर ऐसा लगता है कि प्रकृति स्वयं होली के लिए तैयार हुई है.
पलाश के फूलों से बनते हैं रंग :होली खेलने के लिए आप पलाश के फूलों का रंग काफी आसानी से बना सकते हैं. इस मौसम में यह काफी नजर आते हैं.रंग तैयार करने के लिए सबसे पहले पलाश के फूलों को तोड़ लें. इसके बाद इसे छाया में अच्छी तरह से सूखा लें. इसके बाद इन सूखे हुए फूलों को गर्म या ठंडे पानी में डालकर रंग तैयार कर लें.
पलाश के फूलों से त्वचा को नुकसान नहीं :रंगों के बिना होली की कल्पना नहीं की जा सकती. लेकिन इस बार पलाश के फूलों से होली खेलें. जिससे त्वचा को कोई नुकसान न हो. पलाश के फूल सस्ते और अच्छे होने के साथ गांव में आसानी से उपलब्ध हैं.इनसे आप आसानी से बिना किसी भी मेहनत के रंग बनाकर होली खेल सकते हैं.