छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

मध्यप्रदेश की सीमा से कोरिया पहुंचा टिड्डी दल, प्रशासन अलर्ट

कई राज्यों में उत्पात मचाने वाला टिड्डी दल छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में पहुंच चुका है. जानकारी के मुताबिक टिड्डियों का एक दल मध्यप्रदेश की सीमा से होते हुए कोरिया के भरतपुर के गांवों तक पहुंच चुका है. ग्रामीणों का कहना है कि टिड्डी दल में बड़ी तादाद में टिड्डियां हैं.

locust-attack-in-bharatpur-of-koriya
कोरिया पहुंचा टिड्डी दल

By

Published : Jun 25, 2020, 12:44 PM IST

Updated : Jun 25, 2020, 3:33 PM IST

कोरिया:कई राज्यों में आतंक मचाने वाला टिड्डी दल अब छत्तीसगढ़ में भी उत्पात मचाने लगा है. बता दें कि टिड्डियों का एक दल मध्यप्रदेश की सीमा से होते हुए मारीसराई, बड़वाही, सतक्यारी, बरछा, उदकी और कोरिया जिले के वनांचल क्षेत्र भरतपुर के गांवों तक पहुंच चुका है. इतनी बड़ी तादाद में टिड्डियों को देखकर ग्रामीणों की आंखें खुली की खुली रह गईं. ग्रामीणों ने इसकी जानकारी कृषि विभाग को दी है.

कोरिया के गांवों तक पहुंच टिड्डी दल

ग्रामीणों का कहना है कि टिड्डी दल भारी तादाद में हैं. ऐसे में किसानों की चिंता वाजिब है, क्योंकि टिड्डियों का ये दल पूरी खड़ी फसल को मिनटों में ही चट कर जाते हैं.

किसानों ने दी टिड्डी के आने की जानकारी

कृषि विभाग ने टिड्डी दल और दूसरे समस्याओं के लिए कंट्रोल रूम बनाया है, जहां ग्रामीण किसी भी प्रकार की समस्या की जानकारी दे सकते हैं. फिलहाल जिले की पूरी टीम भरतपुर विकासखंड के मारीसराई ,बड़वाही ,सतक्यारी बरछा और उदकी जैसे गांवों में अपनी नजर बनाए हुए हैं. ताकि काफी मात्रा में आए टिड्डी दल कोई नुकसान न पहुंचा सके.

टिड्डी को रोकना ही उपाय

बता दें कि टिड्डियों की ब्रीडिंग एरिया भारत नहीं है, इसलिए इसे हम रोक नहीं सकते हैं. यह प्राकृतिक आपदा के रूप में है. इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही उपाय है वो है स्प्रे इसके अलावा कोई उपाय नहीं है. कोशिश की जाती है कि टिड्डियों को बढ़ने न दिया जाए. एक टिड्डी तीन बार अंडे देती हैं, यही अंडे आगे जाकर टिड्डी के रूप में निकल कर आगे आते हैं, लेकिन इन टिड्डियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

पढ़ें:बेमेतरा सीमा में टिड्डी दल की दस्तक, प्रशासनिक अमला अलर्ट

टिड्डी के मूवमेंट पर रखी जाती है नजर

टिड्डी के मूवमेंट पर नजर रखी जाती है और किसानों से कहा जाता है कि वे बर्तन बजाने जैसे गतिविधियां करें, जिससे कि टिड्डी फसल पर न बैठें. विभाग की तरफ से टिड्डी के मूवमेंट को देखकर पहले से वहां स्प्रे किया जाता है, जहां वो रात को बैठने वाली होती हैं, जिसके बाद विभाग उनके मूवमेंट पर नजर रखता है. वहीं भरतपुर में पाए गए टिड्डी दल की जानकारी मिलते ही कृषि विभाग के आला अधिकारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों ने स्थल में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया.

कैसे पनपते हैं टिड्डी दल

यह प्रवासी टिड्डे अंटार्कटिक को छोड़कर बाकी सभी महाद्वीप पर पाए जाते हैं. ये पश्चिमी अफ्रीका, ईजिप्ट से लेकर दक्षिण एशिया तक में पाए जाते हैं. ये टिड्डे अपने जन्म के शुरुआती कुछ दिन तक उड़ नहीं सकते. इस दौरान वह अपने आसपास की घास खाकर बड़े होते हैं. टिड्डी घास की महक का पीछा करते रहते हैं. आमतौर पर इन्हें बड़ा होने में एक माह तक का समय लगता है, लेकिन अनुकूल वातावरण में इनके बढ़ने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. जब एक जगह पर खाना खत्म हो जाता है, तो पंख वाले बड़े टिड्डे एक खास गंध छोड़ते हैं, जिसका मतलब होता है कि अब खाने के लिए आगे बढ़ने का समय आ गया है. ऐसे ही टिड्डियों के समूह के समूह जुड़ते जाते हैं और यह विनाशकारी विशालकाय झुंड बन जाते हैं.

पढ़ें:खैरागढ़ में टिड्डी दल की दस्तक, निपटने के लिए प्रशासन तैयार

टिड्डियों से नुकसान

टिड्डी हवा के रुख के साथ उड़ते हैं और एक दिन में करीब 150 किलोमीटर का सफर कर सकते हैं. जब यह झुंड बनाकर खाने की तलाश में निकलते हैं, तो रास्ते में पड़ने वाली किसी भी वनस्पति को नहीं छोड़ते. रेगिस्तानी टिड्डी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे विनाशकारी कीट माना जाता है. यह एक वर्ग किलोमीटर के छोटे से झुंड में ही एक दिन में 35,000 लोगों के भोजन के बराबर वनस्पति खा लेते हैं.

कहां से आईं टिड्डियां ?

पूरी दुनिया में रेगिस्तानी टिड्डी के प्रकोप से लगभग तीन करोड़ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित है. इतने क्षेत्र में उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी अफ्रीकन देश, अरब देशों, अरेबियन पेनिनसुला, दक्षिणी सोवियत रूस, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत सहित करीब 64 देश शामिल हैं. सामान्य दिनों में जब इनका प्रभाव कम होता है, तब भी यह 30 देशों के एक करोड़ 60 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में पाए जाते हैं.

पढ़ें:कवर्धा में टिड्डियों का हमला, भगाने के लिए जिला प्रशासन का ऑपरेशन जारी

रेगिस्तानी टिड्डियों का सबसे बड़ा हमला राजस्थान के जैसलमेर में 16 मई 2019 के बाद देखा गया. उस समय यह छितरी हुई अवस्था में थे. भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण एवं अनुसंधान विभाग के अनुसार, मई 2019 में 246 जगहों पर सर्वे किया गया था, जिनमें से 46 स्थानों पर टिड्डी दल पाए गए थे. बीकानेर जिले के कुछ इलाकों में भी टिड्डी दल देखे गए थे.

Last Updated : Jun 25, 2020, 3:33 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details