एमसीबी:जिले के भरतपुर विधानसभा क्षेत्र के भगवानपुर में आज भी लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. जल जीवन मिशन के तहत पानी की टंकी बनने और पाइप बिछने के बाद भी गांव के लोग दूर दराज से पानी लाने को मजबूर हैं. वनांचल होने के कारण जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है. इन खतरों के बीच जान जोखिम में डालकर गांव के लाेग प्यास बुझा रहे हैं.
विकास के दावे खूब लेकिन हकीकत से कोसों दूर:एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार गांवों के विकास का दावा करते थक नहीं रही है, दूसरी तरफ विकास की जमीनी हकीकत भगवानपुर की हालत को देखकर आसानी से समझा जा सकता है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों भी विधानसभा क्षेत्र में सेवा का वादा तो खूब करते हैं लेकिन वे वादे अब तक पूरे न हो पाए. पीएचई विभाग ने लाखों रुपये खर्च करके पानी की टंकी तो बनवाई और जगह-जगह पाइप लाइन भी बिछा दी. नल भी लगा दिया गया लेकिन आज तक उस नल में पानी की एक भी बूंद भी नहीं आया.
बोले ग्रामीण "नल लगे 6 साल हो गए पर पानी नहीं मिला": गांव की सोनू बैगा बताती हैं कि "पानी मिलता ही नहीं है. पानी बहुत दूर से लेकर आते हैं. जो नल लगाया गया है उसमें पानी आता ही नहीं है. नल को लगाए हुए 5 से 6 साल हो गया है." वशिया बताती हैं कि "हम लोग पानी के लिए दूर टंकी जाते हैं. घर में बच्चे हैं सब जाते हैं. गांव के सरपंच हैं अगर वह भी ध्यान देते तो आज हम लोगों को परेशानी ना होती. हम लोग कपड़ा धोने और नहाने के लिए कहीं नदी तो कहीं तालाब जाते हैं. पीने का पानी दूर में बनी टंकी से लाना पड़ता है."