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बैगा जनजाति के लोग भूख हड़ताल पर बैठे, जमीन हड़पने के आरोप

मंगलवार को एमसीबी के भरतपुर विकासखण्ड में बैगा जनजाति के लोग अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए. उनका आरोप है कि एमसीबी के राजस्व विभाग द्वारा बैगा जनजाति के लोगों की जमीन छीन ली गई है.

indefinite hunger strike in MCB
जनजातियों की जमीन हड़पने के आरोप

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Published : May 16, 2023, 6:59 PM IST

बैगा जनजाति के पीड़ित ने शुरू की भूख हड़ताल

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: वनांचल क्षेत्र भरतपुर विकासखण्ड के निवासियों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला है. राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले इन बैगा जनजाति के लोगों ने राजस्व विभाग द्वारा उनकी जमीन छीनने का आरोप लगाया है. इंसाफ नहीं मिलने से नाराज लोगों ने मंगलवार को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरु कर दिया है.


अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे लोग: मामला जनकपुर विकाखण्ड का है. जहां दो पीढ़ियों से बैगा जनजाति के लोग अपनी जमीन वापस लेने एसडीएम, तहसीलदार सहित कलेक्ट्रेट कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन राजस्व विभाग उन्हें उनकी जमीन नहीं दे रही है. जिससे नाराज बैगा परिवार के लोगों ने मंगलवार को अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरु कर दी.

जमीन के खसरा और रकबा से छेड़छाड़ के आरोप: 1934-35 का रिकॉर्ड लेकर गेंदलाल बैगा और पवन कुमार बैगा दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन कोई अफसर उन्हें उनके हक की जमीन देने का तैयार नहीं है. आरोप है कि वर्तमान भू-अभिलेख से पीड़ित बैगा परिवार की जमीन का खसरा और रकबा का डाटा भी गायब कर दिया गया है.

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क्या है पूरा मामला:पीड़ितों ने बताया कि "खसरा क्र 161/1 है, जो लोधियाराम बैगा के नाम है. लोधियाराम बैगा के दो बेटे शुक्लाराम और चैताराम बैगा है. जिन्हें शासन ने भू-आवंटन में 5-5 एकड़ का पट्टा दिया गया था. प्रेमलाल बैगा के नाम 1974-75 में 5 एकड़ जमीन थी, लेकिन 2006 में रिकॉर्ड निकलवाने पर पता चला कि, अब उसके नाम दो एकड़ जमीन ही दर्ज है. उसके जमीन का खसरा नम्बर भी बदलकर 695-1 कर दिया गया है. वहीं तीन एकड़ जमीन को शासकीय बताया जा रहा है. जबकि पीड़ित का उस जमीन पर पुराना घर आज भी बना हुआ है."

पीड़ितों ने बताया कि "मामले में संज्ञान लेते हुए 4 फरवरी को घर गिराने पहुंचे एसडीएम समेत अन्य अधिकारियों को पीड़ित ने दस्तावेज दिखाए. जिसके बाद अधिकारी घर गिराए बिना लौट गए." वहीं 5 फरवरी को पीड़ित प्रेमलाल बैगा की मौत सदमे से हो गई"

मामले में आज तक राजस्व अधिकारियों के द्वारा कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया. अब देखना यह है कि क्या इस बैगा परिवार को अपनी पुश्तैनी जमीन मिलेगी या अधिकारियों की मिलीभगत की भेंट चढ़ जाएगी.

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