मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : चिरमिरी और भरतपुर में अवैध कारोबार करने वालों की चांदी है. हालात ये हैं कि कार्रवाई करने में प्रशासन के हाथ पांव फूल जाते हैं. भरतपुर के हरचौका जो कि संरक्षित क्षेत्र है. वनवास के दौरान भगवान राम यहां जिस मवई नदी को पार कर छत्तीसगढ़ मे प्रवेश किया आज वहां अवैध रेत उत्खनन जोरों से जारी है.लेकिन अवैध रेत खनन के खिलाफ बोलने वाला कोई नहीं है. प्रशासन से शिकायत के बाद भी सिर्फ खानापूर्ति कर दी जाती है.अगले ही दिन फिर से वही रेत का खेल शुरु हो जाता है. (Illegal business of sand and coal )
भरतपुर के हरचौका मवई नदी में अवैध रेत खनन अनुमति से ज्यादा क्षेत्र में खनन :जानकारी के मुताबिक मवई नदी में रेत का उत्खनन (sand mining in mawai river) करने के लिए सिर्फ 5 एकड़ की अनुमति है. लेकिन रेत माफिया यहां नियम कायदों को दरकिनार कर 25 एकड़ में अवैध रेत के उत्खनन कर रहे हैं. वहीं यहां एनजीटी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन भी किया जा रहा है. नदी पर पोकलेन और जेसीबी मशीन उतारकर अवैध उत्खनन किया जा रहा है. यहां भी गुंडों और लठैतों के दम पर दिन रात अवैध उत्खनन जारी है.
कोल नगरी में भी अवैध धंधा :कोल नगरी के नाम से प्रसिद्ध चिरमिरी के छोटी बाजार के कोडाकू पारा और डोमनहिल मुक्तिधाम में कोल माफिया अवैध तरीके से कोयले का उत्खनन कर रहे हैं. यहां कोल माफिया जेसीबी मशीन के माध्यम से कोयला निकाल रहे हैं. ईंट भट्टों और दूसरे राज्यो में यह कोयला बोरियों में पैक कर ट्रकों के माध्यम से भेज रहे हैं. कोल माफियाओं के हौसले इस कदर बुलन्द है कि दिन हो या रात. ये कोल माफिया गुंडों और लठैतों के दम पर अवैध उत्खनन कर कोयला निकाल रहे हैं.
कैसे चल रहा कोल का खेल :कोयले का काला खेल तीन चरणों में होता है. पहले चरण में बंद पड़े खदान या चालू खनन क्षेत्रों से गिरोह के सदस्य कोयला को एक स्थान पर एकत्रित करते हैं. दूसरे गिरोह के सदस्य एक निश्चित स्थान पर एकत्रित कोयले को छोटे वाहनों में लोड कर गिरोह के संचालक के पास पहुंचते हैं. जहां से गिरोह का संचालक ट्रकों पर लोड कर इसे दूसरे राज्यों में भेजता है. राज्य के बाहर अवैध कोयला को वैद्य तरीके से भेजने के लिए फर्जी चालान भी तैयार किया जाता है. एक ही चालान के माध्यम से कई वाहन अवैध तरीके से बाहर भेजे जाते हैं.
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राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हैं कोल माफिया :चिरमिरी में जारी अवैध कोयला उत्खनन में लगी मशीनों को प्रति घण्टे के हिसाब से दोगुनी रकम से किराया दिया जाता है. मशीन पर कार्यवाई न होने का भरोसा दिलाया जाता है. क्षेत्र में जेसीबी मशीन का किराया प्रति घण्टा के हिसाब से 1000 या 1200 रुपये है. लेकिन अवैध कोयला उत्खनन में लगी जेसीबी को यहां कोल माफिया 2000 रुपये से 2200 रुपये प्रति घन्टे देते हैं. वहीं इन मशीनों के मालिकों को किसी प्रकार की कार्यवाही न होने का संरक्षण भी दिया जाता है. सूत्रों की माने तो राजनीतिक पार्टी के जिला पदाधिकारी का जेसीबी वाहन भी इन अवैध कार्यो में संलिप्त है.(Manendragarh Chirmiri Bharatpur )