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कोरिया: हल्दी की खेती से बदलेगी किसानों की किस्मत, गौठान समितियों को होगा फायदा - turmeric production at koriya

सुराजी गांव योजना के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए और कोरिया जिले के विभिन्न गौठानों में हल्दी की खेती की जा रही है. इससे गौठान समितियों को भी फायदा होगा.

Gothan committees get financial benefit
गौठान की खाली जमीन पर हल्दी की खेती

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Published : Nov 10, 2020, 8:36 PM IST

कोरिया: प्रशासन लगातार गौठानों के जरिए रोजगार के अवसर तैयार करने की कोशिश कर रहा है. जिले का मौसम हल्दी जैसी मूल्यवान फसलों के लिए मुफीद है. लिहाजा गौठान समितियों की खाली जमीन पर हल्दी की खेती की जा रही है.

जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी तूलिका प्रजापति ने पोड़ी ग्राम पंचायत में गौठान के समीप हल्दी की फसल का अवलोकन किया. सोमवार की सुबह जिला पंचायत सीईओ ने सोनहत जनपद पंचायत अंतर्गत कई ग्राम पंचायतों का भ्रमण कर गौठानों का निरीक्षण किया. यहां उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के साथ हल्दी की फसल का बारीक मुआयना किया. स्थानीय कृषकों से बातचीत भी की है.

फसल का अवलोकन करने के बाद सोनहत जनपद के ग्राम पंचायतों में जाकर सीईओ ने स्थानीय जनों से इस फसल के उत्पादन के बारे मे बातचीत की ग्राम पंचायत पोड़ी और कुषहा में सीईओ जिला पंचायत के भ्रमण के दौरान किसानों ने हल्दी के फसल के बारे में उन्हें बताया. गौठान समितियों के साथ इसे लगाने वाले आदिवासी कृषकों को अच्छा आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है.

सुराजी गांव योजना के तहत हो रहा काम

सुराजी गांव योजना के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि आधारित कार्यों को गौठान ग्रामों में विषेष महत्व के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है. इस क्रम में कोरिया जिले के विभिन्न गौठानों का संचालन करने वाली समितियों की आय बढ़ाने के लिए नगद फसल हल्दी की वृहद स्तर पर बुआई की गई है. इसके साथ ही गौठान ग्रामों में कृषक समूहों को भी इस महती परियोजना से जोड़ा गया है. इसलिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की देखरेख में लगभग 50 एकड़ क्षेत्र में इस बार हल्दी की फसल लगाने की पहल की गई है. फलों के उद्यान के बीच भी हल्दी की फसल लगाई गई है. टपक सिंचाई योजना के तहत इसे बढ़ाया गया है.

किसानों को होगा फायदा

जिला पंचायत सीईओ के साथ भ्रमण मे उपस्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार 50 एकड़ क्षेत्रफल में अच्छी फसल होने से लगभग 360 से 400 टन तक हल्दी बीज और प्रकंद प्राप्त होने का अनुमान है. इससे प्राप्त उपज का दो तिहाई हिस्सा बीज के रूप में विक्रय कर 60 से 70 लाख रूपए की आमदनी हो सकेगी.

अगले साल की भी योजना

साथ ही अगले वर्ष 140 से 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल में और अन्य गौठान समितियों में भी इसे रोपित कर व्यापक स्तर पर हल्दी उत्पादन किया जा सकेगा. इसके अलावा पत्तियों से भी तेल निकाल कर अतिरिक्त लाभ की ओर समितियां बढ़ रही हैं. बाजार में हल्दी के तेल की कीमत 500 से 600 रूपये प्रति किलोग्राम होती है. एक हेक्टेयर से 130 से 150 किलो पत्तियां प्राप्त होंगी. जब इसकी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. तभी इसका तेल निकाला जाएगा.

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