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प्रेमाशंकर महादेव की महिमा

कोरिया जिले के बैकुंठपुर में एक ऐसा मंदिर स्थापित है, जिसे राजा के दीवान ने अपनी पत्नी की याद में बनवाया. आज ये मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है. आज सावन का आखिरी सोमवार है. आज भी इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी है.

Premashankar shiv temple koriya
प्रेमाशंकर महादेव की महिमा !

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Published : Aug 8, 2022, 12:08 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:28 AM IST

कोरिया : भारत देश में ऐसी कई इमारतें हैं जो किसी की ना किसी की याद में बनाई गईं (Sawan Somvar 2022 ) हैं. आज हम आपको ऐसे ही बाग या यूं कहें कि मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे एक राजा के दीवान ने अपनी पत्नी की याद में बनाया.ये मंदिर है कोरिया जिले के बैकुंठपुर में. जिसे लोग आज प्रेमा बाग के नाम से जानते (Premabag Shiv Mandir Koriya) हैं. ये मंदिर पूरे जिले समेत बाहर से आने वाले लोगों के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र है.इस मंदिर ने आज बेहद वृहद रुप ले लिया है.दीवान ने एक बड़ा बाग बनाकर उसके बीचो-बीच एक शिव मंदिर स्थापित किया.लेकिन वक्त के साथ अब सबकुछ बदल चुका है. आज इस बाग में एक दो नहीं बल्कि कई मंदिर स्थापित हो चुके (Glory of Premashankar Mahadev of Koriya Premabagh )हैं.

प्रेमाशंकर महादेव की महिमा

कहां है ये बाग :कोरिया शहर का हृदय स्थल कहें या धार्मिक स्थल प्रेमा बाग, ये शब्द इस जगह के लिए अतिश्योक्ति नहीं होंगे. प्रेमा बाग के इस प्रांगण में कई मंदिर हैं. यदि आप इस जगह पर आएंगे तो आपको शिव, हनुमान, स्वामी जगन्नाथ, सीताराम दरबार, नौ देवी मंदिर देखने को मिलेंगे. यहां तीन मंदिर निर्माणाधीन हैं.

किसने बनाया प्रेमा बाग :कोरिया रियासत के राजा के दीवान रघुवीर प्रसाद श्रीवास्तव ने अपनी पत्नी की याद में एक बाग बनवाया. उसके बीच में एक सुंदर सा शिव जी का मंदिर स्थापित (Premashankar shiv temple koriya) किया. दीवान की पत्नी का नाम प्रेमाबाई था. इसीलिए राजा के दीवान ने इस प्रांगण का नाम प्रेमाबाग रखा. इसी के साथ प्रेमा बाग में मौजूद शिवलिंग का नाम प्रेमाशंकर महादेव (Premabag Shiv temple) पड़ा. साल 1921 में इस मंदिर का निर्माण हुआ. मंदिर के आसपास कई मंदिरों का निर्माण कालांतर में होता गया. कहा जाता है कि जिस वक्त मंदिर का निर्माण हो रहा था, उसी समय राजा के दीवान ने मंदिर के पास ही है गेज नदी के बगल में एक कुंड का निर्माण कराया. कुंड आज भी स्थापित है. लेकिन अपनी पहचान खोता जा रहा है. मंदिर के पास लगे बोर्ड से पता चलता है कि साल 2013-14 में इसका जीर्णोद्धार कराया गया था. जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में देवरहा बाबा सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय कृष्ण बिहारी बाजपेई उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता शैलेश शिवहरे ने की थी.

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वक्त के साथ सहेजी जा रही धरोहर : मंदिर समेत पूरे बाग को खूबसूरत बनाने की कोशिश जारी है. मंदिर की समिति और देवरहा बाबा सेवा समिति हर साल धार्मिक मौकों पर कई आयोजन करते हैं. देवरहा बाबा सेवा समिति के अध्यक्ष शैलेश शिवहरे ने बताया कि '' प्रतिवर्ष यहां सावन के चारों सोमवार में अखंड रामायण का पाठ तीसरे सोमवार में छुरीगढ़ धाम तक कावड़ यात्रा, चौथे सोमवार को पार्थिव शिवलिंग का निर्माण, कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मटकी फोड़ प्रतियोगिता, नवरात्रि में कन्या भोज, होली में होलिका दहन और होली मिलन समारोह, भागवत नौ दिवसीय यज्ञ, जगन्नाथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है. जिसमें सारे नगरवासी सम्मिलित होते हैं. लोगों ने मंदिर में कई सारे चमत्कार देखें हैं. भक्तों के मुताबिक लोगों की कई मुरादें पूरी होती है.

Last Updated : Aug 13, 2022, 11:28 AM IST

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