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कोरिया में किसानों को 12 साल बाद मिला आश्वासन का लॉलीपॉप

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Published : Jun 1, 2022, 2:58 PM IST

कोरिया के जनकपुर में किसानों को पिछले 12 साल से मुआवजा राशि के नाम पर प्रशासन लॉलीपॉप पकड़ा रहा (Farmers in Koriya did not get compensation even after twelve years) है. अब किसानों ने मुआवजे की मांग पर आंदोलन शुरु कर दिया है.

Farmers of Bharatpur gave warning of chaos
कोरिया में किसानों को 12 साल बाद मिला आश्वासन का लॉलीपॉप

कोरिया : विकासखंड भरतपुर में जनकपुर से कोटाडोल मार्ग निर्माण (Janakpur to Kotadol road construction) में जमीन का मुआवजा नहीं दिए जाने से नाराज किसानों ने चक्का जाम कर दिया. किसानों का कहना है कि पीडब्ल्यूडी ने तीन महीने का आश्वासन दिया कि मुआवजा दिया जाएगा लेकिन आज तक कोई राशि नहीं मिली.

कोरिया में किसानों को 12 साल बाद मिला आश्वासन का लॉलीपॉप

कहां का है मामला : जनकपुर कोटाडोल सड़क चौड़ीकरण वर्ष 2010 में करवाया गया था. जहां सड़क चौड़ीकरण के समय 415 किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई थी. लेकिन पूरे 12 साल बीत जाने के बावजूद भी किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाया. इस मामले को लेकर किसानों ने कई बार धरना प्रदर्शन (farmers of Bharatpur started the movement) किया. लेकिन हर बार आश्वासन मिला. अब बारह साल बीत गए, लेकिन अब तक मुआवजा नहीं मिला.

एक महीने पहले मिला था आश्वासन :बीते महीने मार्च में,जब किसानों ने धरना प्रदर्शन करते हुए चक्का जाम किया था,तब पीडब्ल्यूडी ने किसानों को आश्वासन दिया था कि तीन महीने में मुआवजा राशि दिला दी (PWD had given assurance of compensation) जाएगी. लेकिन तीन महीने बाद किसानों के सब्र का बांध टूट गया. जिसके बाद आक्रोशित किसानों ने भगवानपुर के पास चक्का जाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

किसानों ने दी है धमकी :किसानों का कहना है कि इस बार आश्वासन नहीं मुआवजा दिया जाए. अन्यथा यह चक्काजाम अनिश्चितकालीन जारी (Farmers of Bharatpur gave warning of chaos) रहेगा. जमीन मुआवजा की राशि प्रशासनिक स्वीकृति के लिए लंबित है. प्रशासनिक अधिकारियों ने 12 साल बीता दिए हैं. लेकिन मंत्रालय में दस्तावेज जमा होने के बावजूद प्रशासनिक स्वीकृति आज तक नहीं मिली.

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कब मिलेगा मुआवजा : इस मामले में पीडब्ल्यूडी भी रटा रटाया जवाब दे रहा है कि मंत्रालय से स्वीकृति मिल जाएगी वैसे ही किसानों को मुआवजा दिया जाएगा. आखिर एक पार्टी की सत्ता आई और चली गई,वहीं अब नई सरकार बनने के बाद भी फाईल लटकी है. ऐसे में लगने लगा है कि किसानों को सिर्फ आश्वासन के सिवाए अफसर ज्यादा कुछ नहीं दे पाएंगे.

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