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SPECIAL: कोरिया में आदिमानव की तरह जीवन जीने को मजबूर है ये परिवार

तीन साल से देवनारायण का परिवार गढ़पहाड के पास छातापखना गुफा में निवास कर रहा है. विवादित भूमि को लेकर गांव वालों ने एकतरफा फैसला कर उसकी भूमि छीन ली. इसके बाद गांववालों ने उसका बहिष्कार कर दिया और उसे गांव छोड़ना पड़ा.

आदिमानव की तरह जीवन जीने को मजबूर है ये परिवार

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Published : Nov 25, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Nov 25, 2019, 9:15 PM IST

कोरिया:जिले के जंगलों में आज भी एक परिवार चट्टानों के बीच बनी गुफा में आदिमानव की तरह 3 साल से रहने को मजबूर है. 3 साल पहले जमीन विवाद को लेकर गांव वालों ने इस परिवार का बहिष्कार किया था. परिवार में पति-पत्नी के साथ पांच साल का बच्चा भी है जो अब चकाचौंध भरी दुनिया से कोसों दूर रहकर अपना जीवन यापन कर रहा है.

कोरिया में आदिमानव की तरह जीवन जीने को मजबूर है ये परिवार

कई साल बीत गए ये परिवार चट्टान की गुफा में रहता है, लेकिन प्रशासन को इसकी खबर आज तक नहीं लगी. तमाम असुविधाओं को झेलते हुए आदिमानव की तरह यह परिवार कई वर्षों से गुमनामी की जिंदगी जंगली जानवरों के बीच गुजार रहा है.

गांववालों ने किया बहिष्कार
जंगल की गुफा में रह रहे परिवार के मुखिया देवनारायण ने बताया कि वह पहले ग्राम दुग्गी में रहता था. जहां उसकी जमीन भी थी, लेकिन उस विवादित भूमि को लेकर गांव वालों ने एकतरफा फैसला कर उसकी भूमि छीन ली. इसके बाद गांववालों ने उसका बहिष्कार कर दिया और उसे गांव छोड़ना पड़ा.

चार साल से गुफा में रहता है परिवार
करीब चार साल से देवनारायण का परिवार गढ़पहाड़ के पास छातापखना गुफा में निवास कर रहा है. देवनारायण ने बताया कि उसे सरकारी योजना में सिर्फ राशन कार्ड का लाभ मिल रहा है. पास के गांव गणेशपुर के नागेश्वर सिंह की पहल पर कुछ महीने पहले उसका राशन कार्ड बनवा दिया गया है. इसके अलावा उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला.

बच्चे के भविष्य की चिंता
देवनारायण की पत्नी राजकुमारी ने बताया कि उसका पति जहां उसे रखेगा वहीं वो रह लेगी, लेकिन उसे इस बात की चिंता है कि उनके बच्चे का भविष्य क्या होगा. राजकुमारी ने बताया कि उसकी जिंदगी तो कट जाएगी, लेकिन बच्चे क्या करेंगे. उसके पास तो घर भी नहीं है और न ही रोजी-रोटी का साधन है.

समाजिक कार्यकर्ता ने की मदद
समाजिक कार्यकर्ता नागेश्वर सिंह देवनारायण के परिवार को गुफा में जीवन यापन करते देख इस परिवार की मदद और सरकार तक इसकी खबर पहुंचे में उसका सहयोग कर रहे हैं. समाजिक कार्यकर्ता की कोशिश से उस परिवार का राशन कार्ड तो बन गया, लेकिन बाकी सुविधाओं से वे अभी भी वंचित हैं. इधर, जनपद सीईओ तूलिका प्रजापति का कहना है कि जांच के बाद ही उस परिवार की कोई मदद की जा सकेगी.

Last Updated : Nov 25, 2019, 9:15 PM IST

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