कोरिया :‘शरीर से कमजोर हूं बाबू, चल-फिर नहीं पाती. लेकिन जानती-समझती सब हूं. मैं तो बरसों से वोट देते आ रही हूं.अल्लाह जाने और कब तक वोट डालूंगी, क्योंकि शरीर अब साथ नहीं दे रहा है.’ ये शब्द तलवापारा, बैकुंठपुर निवासी मिंतु बेगम के हैं.जिनके घर पर वोटिंग के लिए मतदान दल गया था.दरअसल 40 फीसदी या उससे ज्यादा दिव्यांगता वाले मतदाताओं को पोस्टल बैलेट के माध्यम से घर बैठे मतदान की सुविधा दी है.जिसके तहत मतदान दलों ने सर्वे के बाद सूची बनाई और फिर दिव्यांग लोगों के घर मतदान करवाने पहुंची.
शरीर बिस्तर पर,लेकिन हौंसला शिखर पर :इसी कड़ी में बैकुंठपुर विधानसभा के खालपारा, ओड़गी निवासी 87 वर्षीय सखुन बरगाह के घर मतदान टीम पहुंची. सखुन का स्वास्थ्य खराब होने की जानकारी उनके परिवारों वालों ने दी. इस दौरान परिजनों ने बिस्तर पर ही उनसे मतदान करवाया . वहीं फूल बसिया यादव ने भी मतदान दल का अभिवादन किया. सबका हाल-चाल जाना. इस दौरान फूल बसिया ने पूछा कि कहां से आए हो और क्या काम है..? जिस पर मतदान टीम ने उन्हें बताया कि हम लोग निर्वाचन कार्यालय से आए हैं. आपका वोट लेने. ये सुनते ही फूल बसिया के चेहरे में मुस्कान आ गई.और उसने अपना अमूल्य वोट दिया.
दिव्यांग ने किया मतदान :जब मतदान अधिकारियों का दल दिव्यांग विकास साहू के घर पहुंचे तो वे जमीन पर सोए मिले. मतदान अधिकारियों ने उन्हें बताया कि 17 नवम्बर को मतदान होना है.उसके पहले जो दिव्यांग मतदाता, मतदान केन्द्र नहीं पहुंच पाएंगे, उनके लिए निर्वाचन आयोग ने घर पर पोस्टल बैलेट के माध्यम से वोट लेने की व्यवस्था की है. तब विकास साहू ने कहा कि 14 बरस पहले एक सड़क दुर्घटना होने के कारण उसके शरीर का आधा हिस्सा काम करना बंद कर दिया.लेकिन मतदान करने से वो नहीं चूकेंगे.