कोरिया:निगम,नगर पालिका, एसईसीएल समेत पीडब्लूडी विभाग में होने वाले किसी भी निर्माण कार्य में ठेकेदार को अंतिम भुगतान तभी किया जाता है, जब उसे माइंनिंग विभाग से क्लीयरेंस सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. कोरिया जिले के चिरमिरी नगर निगम में जिला माइनिंग विभाग का फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर कॉन्ट्रैक्टरों ने लाखों रुपये का घोटाला किया है.इस बात का खुलासा होने के बाद से ही निगम अब रिकॉर्ड खंगालने में जुट गया है.
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घोटाले का मामला सामने आते ही माइनिंग विभाग समेत निगम में हड़कंप मच गया है.माइनिंग अधिकारी त्रिवेणी देवांगन ने बताया कि साल 2019 से सितंबर 2020 के किए गए निगम क्षेत्र में विभिन्न निर्माण कार्यों के 100 केस में से 93 माइंनिंग क्लीयरेंस के मामले फर्जी मिले हैं. 2 साल के रिकॉर्ड में लगभग 66 लाख की गड़बड़ी का मामला सामने आया है,जिसके लिए खनिज विभाग ने एफआईआर की तैयारी कर ली है. अब माइनिंग विभाग ने चिरमिरी निगम से बीते 2016 से निर्माण कार्यों की सूची और पूरी जानकारी मंगाई है और जिले के सभी निर्माण एजेंसियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिला खनिज विभाग से रॉयल्टी क्लीयरेंस के किसी भी प्रकार का भुगतान ठेकेदार को नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा है कि इस गड़बड़ी की एसईसीएल, पीडब्लूडी और जिले के सभी नगरीय निकायों में जांच की जाएगी. गड़बड़ी सामने आने पर माइनिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.
घोटाले में विभाग के लोग भी हो सकते हैं शामिल
खनिज विभाग के रॉयल्टी की राशि घन मीटर के हिसाब से तय है. जैसे रेत, ईंट, गिट्टी, मिट्टी, मुरूम समेत अन्य प्रकार के खनिज जिनका इस्तेमाल निर्माण कार्य में ठेकेदार करते हैं. एक करोड़ के भवन निर्माण में खनिज विभाग के द्वारा एक लाख की रॉयल्टी विभिन्न सामग्री के उपयोग के लिए खनिज विभाग को भुगतान करना होता है. इस गड़बड़ी में कई अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम का भी खुलासा होने की उम्मीद है.