कोरिया: कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन ने कामगारों की कमर तोड़ दी है. उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. ऐसे में मनरेगा योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे मजदूरों को राहत प्रदान की है. मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों को रोजगार मिलने लगा है. आज के समय में लॉकडाउन के दौरान 'मनरेगा' योजना ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों के लिए रोजी रोटी का जरिया बन गया है. कोरिया जिले में लॉकडाउन के दौरान 'मनरेगा' योजना ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है. इस योजना के तहत जिले के 363 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के काम चल रहे हैं. इससे करीब 43 हजार श्रमिकों को काम मिला है. वहीं प्रवासी मजदूरों को भी योजना के तहत काम मिल रहा है. घर पर काम मिलने से ग्रामीण काफी खुश हैं.
इन कामों के लिए मिली स्वीकृति
ग्रामीण श्रमिकों की मांग पर डबरी निर्माण, तालाब गहरीकरण, कच्ची नाली निर्माण, भूमि सुधार कार्य, मिट्टी सड़क निर्माण कार्य मंजूर किए गए हैं. वहीं नरवा, पाथ उपचार कार्य, सामुदायिक डबरी निर्माण कार्य, नया तालाब निर्माण कार्य सहित अन्य कार्य शुरू होने से ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है.
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मजदूर परिवारों की आर्थिक स्थिति में हुआ सुधार
कोरोना महामारी के चलते लाॅकडाउन की स्थिति से निपटने पंचायतों में मनरेगा कार्य शुरू होने से मजदूर परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. 1 अप्रैल से सभी श्रमिक परिवारों को कार्य के आधार पर 193 रुपए हर दिन के हिसाब से उनके खाते में मजदूरी भुगतान हो रहा है. बहरहाल इन कामों के दौरान पंचायत स्तर पर कोविड-19 की रोकथाम के लिए श्रमिकों को सामाजिक दूरी, मास्क और सोशल डिंस्टेंस सहित सैनिटाइजर इस्तेमाल की सलाह दी जा रही है.कार्यस्थल पर 45 वर्ष से ऊपर के लोगों को कोरोना टीका भी लगवाया जा रहा है.
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घर पर मिल रहा काम
ग्रामीणों ने कहा कि लॉकडाउन में घर पर काम मिलने से काफी खुशी हो रही है. कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन से रोजगार के साधन बंद है. इससे रोजगार नहीं मिल रहा है. घर पर ही सरकार के कारण हमें रोजगार मिल रहा है. साथ ही समय पर पेमेंट भी मिल रहा है. इससे लॉकडाउन में भी हमें आर्थिक परेशानी का सामना करना नहीं पड़ रहा है.
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प्रवासी मजदूरों को भी मिल रहा काम
कोरिया जिला पंचायत सीईओ कुणाल दुदावत (Koriya District Panchayat CEO Kunal Dudawat) ने कहा कि जिले की 363 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम स्वीकृत किए गए हैं. इससे करीब 43 हजार ग्रामीणों को उनके घर के पास ही रोजगार मिल रहा है. साथ ही प्रवासी मजदूरों को भी काम दिया जा रहा है.