कोरिया:मनेंद्रगढ़ के ग्राम पंचायत मुसरा में ग्रामीणों के वन अधिकार पत्र के आवेदन को निरस्त करने का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने एसडीएम को इस विषय में ज्ञापन सौंपा है. ग्रामीणों का कहना है कि साल 1980 से भूमि पर काबिज ग्रामीणों के आवेदन पत्र निरस्त करने के लिए नोटिसि जारी किया गया है.
वन अधिकार पत्र के 159 आवेदन निरस्त मुसरा पंचायत के ग्रामीणों ने सोमवार को एसडीएम मनेंद्रगढ़ को ज्ञापन सौंपकर वन अधिकार पत्र के आवेदनों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की. उन्होंने वन अधिकार पत्र दिलाए जाने की मांग की है. ग्राम पंचायत मुसरा से बड़ी संख्या में ग्रामीण तहसील कार्यालय पहुंचे थे.
साल 1980 से काबिज है ग्रामीण
ग्रामीणों ने जानकारी देते हुए बताया कि वे पुरखों के जमाने से वन भूमि पर काबिज हैं. वे यहां खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लेकिन उनके पास इस भूमि का मालिकाना हक नहीं है. शासन द्वारा वन भूमि में काबिज ग्रामीणों को वन अधिकार पत्र देने की योजना शुरू की गई थी. जिसके तहत मुसरा के ग्रामीण भी पंचायत में वन अधिकार पत्र प्राप्त करने के लिए अपना आवेदन दिए थे. लेकिन पंचायत ने 18 जून 2020 को बिना किसी सूचना के ग्राम सभा आयोजित कर पंचायत सचिव, बीट गार्ड और पटवारी की मिलीभगत से 159 ग्रामीणों के आवेदन पत्र निरस्त कर दिए.
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'सचिव ने जानबूझकर छुपाई जानकारी'
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत सचिव ने उन्हें आवेदन पत्र निरस्त करने का नोटिस थमा दिया. नोटिस जारी होने के 60 दिन के अंदर एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर निरस्त किए गए सभी आवेदनों के निष्पक्ष जांच करने की मांग की गई है. ग्रामीणों का कहना है कि मुसरा पंचायत में 159 ग्रामीणों के आवेदन पत्र निरस्त किए गए हैं, जबकि 47 ग्रामीणों का वन अधिकार पत्र बना तो दिया गया है, लेकिन 10 से 15 लोगों को ही वन अधिकार पत्र मिला है.