कोरबा: पश्चिम क्षेत्र को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले दर्री बराज पुल की जर्जर हालत और लगातार नियमों की अनदेशी से नाराज यूथ कांग्रेस (angry youth congress) ने चक्काजाम कर दिया. युवा नेताओं की मांग है कि जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) ने खुद ही यहां एक बोर्ड लगाया है. जिसमें स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि पुल से 30 टन से अधिक क्षमता के भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है. बावजूद इसके नियमों का पालन नहीं हो रहा है.
पुल से कोयला और राख से भरे ट्रक 50 से 60 टन तक के भारी वाहन आवागमन करते हैं. जिससे पुल की संरचना को खतरा है. हसदेव नदी (Hasdeo River) पर बना बांध टूटा तो पूरा शहर बाढ़ की चपेट में आ सकता है. साथ ही जिला मुख्यालय से पश्चिम क्षेत्र पूरी तरह से कट जाएगा. आंदोलन के दौरान 2 घंटे तक दोनों ओर से आवागमन प्रतिबंधित रहा. मौके पर पुलिस के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी भी पहुंचे. जिनकी समझाइश पर आंदोलन समाप्त हुआ. पुलिस ने कहा कि तत्काल पुल से 30 टन से अधिक क्षमता वाले भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित रहेगा.
कांग्रेस शासन में यूथ कांग्रेसी ही कर रहे आंदोलन
कांग्रेस की सरकार में यूथ कांग्रेस (Youth Congress) के नेता ही लगातार सक्रिय हैं. इसके पहले भी दर्री बराज से भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर यूथ कांग्रेस के नेताओं ने विभाग से पत्राचार किया था. जल संसाधन विभाग (Department of Water Resources) ने तब आश्वासन भी दिया था कि पुल से भारी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध रहेगा. मांग पूरी नहीं होता देख यूथ कांग्रेसियों ने बुधवार को फिर से आंदोलन कर दिया. दो घंटे तक चक्काजाम किया. इस दौरान मार्ग से गुजरने वाले वाहन 2 घंटे तक जाम में फंसे रहे.
1967 में बना था पुल
हसदेव नदी पर दर्री बराज पुल का निर्माण 1967 में पूरा हुआ था. छह दशक पहले तक जिले में भारी वाहनों का इतना दबाव नहीं था. तब की परिस्थितियों के हिसाब से ही पुल का निर्माण किया गया था. यहां से उद्योगों को पानी मिलने के साथ ही दाएं तट और बाएं तट नहर के जरिये खेतों को सिंचाई की सुविधा दी जाती है.
यह पुल जिला मुख्यालय को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है. समय के साथ ही जिले का विकास हुआ. कोरबा ऊर्जाधानी के तौर पर प्रदेश में स्थापित है. लेकिन पुल का उद्धार नहीं हो सका. पुल पर लगातार दबाव बढ़ रहा है. क्षमता से अधिक भारी वाहन लगातार यहां से आवागमन कर रहे हैं. पुल पर क्षमता से कहीं अधिक दबाव है. ऐसे में किसी अनहोनी से इनकार भी नहीं किया जा सकता है. पुल का जल ग्रहण क्षेत्र 7723 वर्ग किलोमीटर है. जहां बाढ़ नियंत्रण के लिए 1 लाख क्यूसेक पानी रोका जा सकता है. हसदेव पुल पर बने बांध का अधिकतम जलस्तर 291 मीटर है, जबकि पुल लंबाई 283 मीटर है.