कोरबा: औद्योगिक जिला होने के कारण कोरबा में प्रतिदिन हजारों ट्रक का आवागमन होता है. एचआईवी एड्स के लिहाज से विभाग टारगेटेड ग्रुप जिसमें ट्रक ड्राइवर, सेक्स वर्कर शामिल हैं. इन्हे प्रथमिकता पर रखा जाता है. इनकी लगातार टेस्टिंग और काउंसिलिंग की जाती है. वर्तमान में जिले में 550 एचआईवी से ग्रसित लोग सक्रिय हैं. अब तो हालात यह हो चुके हैं कि हर महीने लगभग 12 नए मरीज मिल रहे हैं. इस लिहाज से एचआईवी एड्स के लिए कोरबा बेहद संवेदनशील जिला बन चुका है.
आरसेरी सेंटर के माध्यम से नि:शुल्क दवा का है प्रबन्ध: कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एचआईवी एड्स की जांच, इसके नि:शुल्क दवा वितरण और काउंसलिंग के लिए आरसिटी सेंटर की स्थापना की गई है. इसके माध्यम से लगातार टेस्टिंग होती है. इससे कई एनजीओ ग्रुप में जुड़े हैं. जो पॉजिटिव पाए गए मरीजों को इनके सुपुर्द कर देते हैं. नि:शुल्क दवा दी जाती है. समय-समय पर जांच की जाती है, और इसके साथ एड्स के साथ कैसे जीवन बिताना है. इसकी सलाह दी जाती है. कई बार संक्रमित व्यक्ति को 5 से 10 साल तक संक्रमित होने का पता नहीं चलता. इस दरमियान वह कई और लोगों को भी संक्रमण दे सकता है.
वर्तमान में 550 मरीज है सक्रिय:कोरबा जिले में वर्तमान में 550 मरीज सक्रिय हैं. एड्स होने के तीन प्रमुख कारण बताए जाते हैं जो किसी संक्रमित खून से इंजेक्शन लगाए जाने वाले सुई की नोक से और असुरक्षित यौन संबंध से हो सकता है. विभाग लगातार यह सलाह देता है खासतौर पर नशा करने वाले लोग एक ही निर्मल का उपयोग कर इंजेक्शन के माध्यम से आशा करते हैं. इनमें एड्स होने के सबसे ज्यादा संभावना होती है. संक्रमित व्यक्ति से असुरक्षित यौन संबंध से भी भीड़ होने का एक बड़ा कारण है.