कोरबा:खेल जब स्वस्थ लोग खेलें, तब सब सामान्य लगता है, लेकिन जब कोई दिव्यांग बल्ला और गेंद थाम ले तो असंभव सा लगता है. कहा जाता है किसी भी काम को करने के लिए आपके शारीरिक क्षमता से ज्यादा हौसलों का मजबूत होना जरूरी होता है. कोरबा में व्हीलचेयर क्रिकेट का आयोजन हो रहा है. जांजगीर और रायपुर से खिलाड़ी प्रतियोगिता में भाग लेने कोरबा पहुंचे हैं. सभी दिव्यांग पूरी शिद्दत और मेहनत से जी जान लगाकर खेलते हैं. इनके दिल में टीस यह है कि इन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिलता. व्हीलचेयर क्रिकेट की स्थिति छत्तीसगढ़ में उतनी अच्छी नहीं है. इन्हें मैदान पर खेलने के लिए, मैदान के बाहर भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जहां उन्हें अक्सर हार का सामना करना पड़ता है, लेकिन दिल तो जिद्दी है. मैदान पर ये दिव्यांग खिलाड़ी किसी तरह का समझौता नहीं करते. पूरी ईमानदारी से बेहतर प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं.
कठिनाईयों को मात देना सीखा रहे व्हीलचेयर क्रिकेट के ये जांबाज शनिवार को व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता का पहला मैच शहर के सेंट्रल वर्कशॉप, एसईसीएल के स्टेडियम में खेला गया. जहां कोरबा और जांजगीर के मध्य खेले गए मैच में जांजगीर ने अपने निर्धारित 10 ओवर में 148 रन बनाए. जवाब में कोरबा ने अंतिम गेंद पर 2 रन बनाकर यह मैच अपने नाम कर लिया. दोनों ही टीमों के खिलाड़ियों ने बेहतरीन क्रिकेट का प्रदर्शन किया.
व्हीलचेयर क्रिकेट का आयोजन दिव्यांग चित्रकार बसंत साहू को मिला 19वां बहुमत सम्मान
व्हीलचेयर क्रिकेट के नियम
व्हीलचेयर क्रिकेट के कुछ नियम अलग होते हैं. पिच 22 की जगह 18 गज की होती है. मैदान की बाउंड्री अधिकतम 55 मीटर रखी जाती है. अन्य सभी नियम आईसीसी के अनुसार ही होते हैं. दिव्यांगों को व्हीलचेयर के पहिए घुमाकर दौड़ते हुए मैदान पर देखना प्रेरणादायी है. इन्हें देखकर नई ऊर्जा का संचार होता है.
प्रशासन से नहीं मिली मदद
3 जिलों की व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन जिला पिछड़ा वर्ग समाज करा रहा है. इसके अध्यक्ष गिरधारी साहू कहते हैं कि व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी हमारे पास आए थे. उन्होंने इस प्रतियोगिता की इच्छा जाहिर की थी. हमने प्रशासन से मदद मांगी, लेकिन कोई भी सकारात्मक पहल नहीं हुई. इसके बाद हम एसईसीएल के जीएम से मिले. हम एसईसीएल के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने हमें ना सिर्फ मैदान उपलब्ध कराया. बल्कि खिलाड़ियों के ठहरने के लिए भवन भी उपलब्ध कराया. हम आगे भी इस तरह के आयोजन कराते रहेंगे. इस प्रतियोगिता के माध्यम से दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना भी हमारे समाज का दायित्व है.
1 महीने भी नहीं चल पाई दिव्यांग को मिली मोटरवाली ट्राइसाइकिल
खिलाड़ियों को सपोर्ट की जरूरत
छत्तीसगढ़ दिव्यांग व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और फाउंडर डॉ. ओम नेताम कहते हैं कि व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन को सपोर्ट करने की जरूरत है. फिलहाल, छत्तीसगढ़ में हमारा संगठन 5 जिलों में बन चुका है. 2018 में जब मैंने यह संगठन बनाया. तब पहले ही प्रयास में हमारे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. चंडीगढ़ में हम फाइनल में पहुंचे, एमपी में भी हमने गुजरात को हराकर प्रतियोगिता जीती. हमारे साथ राष्ट्रीय स्तर के उम्दा खिलाड़ी मौजूद हैं. जो व्हीलचेयर क्रिकेट के बढ़िया खिलाड़ी हैं. इन्हें सपोर्ट करने की जरूरत है. इन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है. सबसे बड़ी दिक्कत दिव्यांग खिलाड़ियों को घर से सिटी तक लाने की होती है. दिव्यांग खिलाड़ी खुद ही संसाधन जुटाते हैं. जितना हमसे बनता है, सहयोग करते हैं. शासन और प्रशासन स्तर पर हमें कोई भी सहायता नहीं मिलती.