कोरबा: देश के कई हिस्सों में बारिश ने एकबार फिर से कहर बरपाना शुरू कर दिया है. जिले में बीते चार-पांच दिनों से झमाझम बारिश हो रही है. यहां छोटी-बड़ी नदी नालों से लेकर सड़कों पर भी घुटनेभर पानी बह रहा है, जिससे लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है. लगातार बारिश की वजह से एशिया की नामी खदानों में से एक दीपका कोल माइंस में भी जलभराव हो गया है.
प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से सड़कों और अन्य क्षेत्रों में जलभराव हो गया है. बारिश ने इलाके के लोगों का हाल बद से बद्तर कर दिया है. रविवार दोपहर के बाद लीलागर नदी के प्रवाह की धारा बदल गई. नदी का पानी चैनपुर के पास से दीपका खदान की में पानी भर गया. खदान में पानी भरने से अंदर काम कर रहे मजदूर वहां फंस गए थे, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया.
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खदान में लगे तीन कन्वेयर बेल्ट और मोटर पानी में डूब गए हैं. पानी भरने की वजह से कन्वेयर बेल्ट को बंद कर दिया गया है. इससे कोयला खनन ठप है. पानी तेजी से खदान में घुस रहा है. इसे रोकने के लिए अभी तक की गई सभी कोशिशें विफल हो रहे हैं. सूचना मिली है कि खदान में कर्मियों के घुसने पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही खदान के बाहर सुरक्षा बल को तैनात किया गया है.
कोयला उत्पादन घटकर हो गया आधा
बता दें कि खदान से सीपत संयंत्र और बड़े संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति की जाती है. खदान एसईसीएल का मेगा प्रोजेक्ट है. इसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 35 मिलियन टन है और यहां से प्रतिदिन एनटीपीसी सीपत संयंत्र को रोजाना 40 हजार टन कोयले की आपूर्ति रेल मार्ग से होती है. बारिश के मौसम में पहले से ही खदान में कोयला उत्पादन घटकर आधा हो गया है. इस स्थिति में खदान में पानी भरने की घटना से प्रबंधन के लिए एनटीपीसी के सीपत संयंत्र को कोयले की आपूर्ति जारी रखना चुनौती बन गया है. सीपत संयंत्र में स्टॉक की कमी है. ऐसे में संयंत्र को कोयला की पूर्ति कराना एक चुनौती बन गई है.