कोरबा :शासन की फ्लैगशिप योजनाओं (Flagship Scheme) में शुमार वार्ड कार्यालय कोरबा, नगर पालिक निगम में फेल साबित हो रही है. 2 वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने वार्ड कार्यालयों को इस उद्देश्य से शुरू किया था कि सड़क मरम्मत, जल प्रदाय और स्ट्रीट लाइट मरम्मत के साथ ही संपत्ति कर और समेकित कर जैसी नगर निगम द्वारा प्रदाय की जाने वाली मूलभूत सुविधाएं इन वार्ड कार्यालयों के माध्यम से जनता तक पहुंच सकेंगी. उनकी तैयारी थी कि वार्ड में ही कार्यालय मौजूद हो और सुविधा जनता के और करीब पहुंचे. कई तरह के सर्टिफिकेट भी जनता तक उनके द्वार तक पहुंचाने की बात हुई थी, लेकिन वास्तविकता यह है कि नगर पालिक निगम कोरबा के 67 में से केवल 14 वार्ड में ही वार्ड कार्यालय (Ward Office in Only 14 wards out of 67 of Korba) खोले गए. और जहां वार्ड कार्यालय खोले भी गए तो वहां लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं है. नगरपालिक निगम के महापौर राज किशोर प्रसाद के वार्ड में ईटीवी भारत की टीम ने रियालिटी चेक की. इस दौरान साफ तौर पर दिखा कि महापौर के वार्ड में मौजूद वार्ड कार्यालय ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है. यहां आवेदन स्वीकार करने के लिए भी निगम के कर्मचारी मौजूद नहीं रहते, ज्यादातर लोगों को वार्ड कार्यालय की जानकारी ही नहीं है.
2 साल में मिले सिर्फ 4190 आवेदन
नगर पालिक निगम कोरबा में कुल 67 वार्ड हैं. क्षेत्रफल के लिहाज से यह प्रदेश का सबसे बड़ा नगर पालिक निगम है. इसलिए कोरबा में वार्ड कार्य की परिकल्पना को साकार करना और भी जरूरी हो जाता है. कई इलाके आज भी ग्राम पंचायतों जैसे लगते हैं, यहां के लोग मुख्यालय तक का सफर तय नहीं कर पाते. कोरबा नगर पालिक निगम में कुल 67 में से सिर्फ 14 वार्ड में ही वार्ड कार्यालय खोले गए, जिनमें से भी ज्यादातर कांग्रेसी पार्षदों के वार्ड में ही खुले हैं. वहीं विपक्ष का आरोप है कि साल 2019 में खानापूर्ति के लिए वार्ड कार्यालय खोले गए थे. आंकड़ों पर गौर करें तो सभी 14 वार्ड कार्यालयों के माध्यम से निगम के पास कुल 4 हजार 190 आवेदन पहुंचे हैं, जिनमें से सभी को निराकृत कर दिया गया. केवल ही 3 पेंडिंग हैं.
हफ्ते में दो दिन आना है कर्मियों को, लेकिन होती है कोताही
वार्ड कार्यालय में आवेदन की संख्या जहां कम है, वहीं वर्तमान में वार्ड कार्यालय ठीक तरह से काम नहीं कर रहे हैं. हफ्ते में 2 दिन निगम कर्मचारियों को यहां तैनाती की गई है, लेकिन इसमें भी कोताही बरती जाती है. वार्ड कार्यालय के फेल होने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि नगर पालिक निगम में इसके लिए नोडल अधिकारी कौन है, यह 2 साल बाद भी स्पष्ट नहीं हो सका है. महापौर के वार्ड क्रमांक 14 में वार्ड कार्यालय स्थापित जरूर है, लेकिन यहां के लोगों का कहना है कि महापौर यहां सुबह बैठने भी आ जाया करते हैं. लेकिन ईटीवी भारत ने जब कार्यालय का दौरा किया, तब यहां कोई भी कर्मचारी मौजूद नहीं था. पूरा कार्यालय खाली था. यहां आवेदन स्वीकार करने और उसके निराकरण करने की क्या व्यवस्था है, यह भी स्पष्ट नहीं था.